भारत में ईवीएम (electronic voting machine) भारत में चुनाव प्रक्रिया का सबसे महत्तवपूर्ण अंग बन गई है। एक तरफ जहां कई दलों ने इस पर सवाल उठाएं हैं तो कई ने इसकी सराहना भी की है। 1977 में पहली बार ईवीएम की कल्पना की गई थी। इसका प्रोटोटाइप 1979 में विकसित किया गया था। आइये जानते हैं ईवीएम का सफर।
यहां जानिए ईवीएम का सफर
- अगस्त, 1980 में राजनीतिक दलों के समक्ष पहली बार प्रदर्शन के बाद आयोग ने इसके इस्तेमाल के निर्देश जारी किए थे।
- 1982 में केरल में हुए चुनाव में पहली बार ईवीएम का उपयोग हुआ। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती मिलने के बाद चुनाव रद्द कर दिए गए।
- 1998 में चुनाव कराने के लिए इसके उपयोग पर सहमति बनी। मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के 25 विधानसभा क्षेत्रों में ईवीएम का उपयोग किया गया।
- 2004 में लोकसभा चुनावों में पहली बार देश के सभी 543 निर्वाचन क्षेत्रों में ईवीएम का उपयोग किया गया था।
भारतीय ईवीएम का आविष्कार 1980 में हुआ आविष्कार
पहले भारतीय ईवीएम का आविष्कार 1980 में एम बी हनीफा के द्वारा किया था जिसे उसने इलेक्ट्रॉनिक संचालित मतगणना मशीन के नाम से 15 अक्टूबर 1980 को पंजीकृत करवाया था। एकीकृत सर्किट का उपयोग कर एम बी हनीफा द्वारा बनाए गए मूल डिजाइन को तमिलनाडु के छह शहरों में आयोजित सरकारी प्रदर्शनियों में जनता के लिए प्रदर्शित किया गया था।
दुनिया भर में हो रही EVM से वोटिंग
यह ध्यान रखना बहुत दिलचस्प है कि ईवीएम के उपयोग को कर दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग रूझान देखे जाते हैं। एक तरफ जहां यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कुछ देश ईवीएम प्रणाली से दूर होते जा रहे हैं। वहीं दक्षिणी अमेरिका और एशिया के कुछ देश ईवीएम में रूचि दिखा रहे हैं।