पहाड़ की बेटियां पुरुषों से कम नहीं हैं। वह घर का चूल्हा, खेती संभालने के बाद अब कुछ नया भी करने लगी हैं। बात कर रहे हैं बागेश्वर के जैनकरास की ममता जोशी की। जो कुमाऊं की दूसरी टैक्सी चालक बन गई है।
बेरोजगार महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा
अधिकांश पहाड़ों में महिला यात्री परिवहन के क्षेत्र में कम ही देखने को मिलती है। बागेश्वर के जैनकरास निवासी ममता जोशी (29) ने यात्री परिवहन के क्षेत्र में कदम रखकर पहाड़ की अन्य बेरोजगार महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बनी हुई है। ममता जोशी मई की शुरुआत से ही टैक्सी चला रही है। उन्हें टैक्सी चलाता देख हर कोई इस विषय पर चर्चा भी कर रहा है।
बता दें ममता जोशी जैनकरास-बागेश्वर, बागेश्वर-काफलीगैर, बागेश्वर-अल्मोड़ा रूट पर टैक्सी चला रही हैं। ममता ओम शांति टूर एंड ट्रैवल्स के नाम से टैक्सी का संचालन करती है। जानकारी के मुताबिक ममता ने बताया कि एक दिन में जैनकरास से बागेश्वर तक के तीन फेरे हो जाते हैं। बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए जिस दिन उनके वाहन का नंबर आता है उस दिन अल्मोड़ा तक सवारियां ले जाती हैं।
किसी भी रूट में टैक्सी चलाने के लिए हूं तैयार: ममता
बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए सुबह से दोपहर 12 बजे तक बागेश्वर की टैक्सियां सवारी ढोती हैं। दोपहर 12 बजे के बाद अल्मोड़ा की टैक्सियां बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए सवारी ढोती हैं। वाहनों के हिसाब से अल्मोड़ा के लिए नंबर आता है। एक वाहन का कई दिन बाद भी नंबर आता है। ममता ने बताया कि वह किसी भी रूट में टैक्सी चलाने के लिए तैयार हैं।
पति की बीमारी ने दिया ये हौसला
बता दें ममता जोशी को टैक्सी चालक बनने का ये हौसला उनके पति सुरेश चंद्र जोशी की बीमारी ने दिया है। जानकरी के मुताबिक ममता ने बताया कि उनके पति सुरेश जोशी कोविड लॉकडाउन से पहले अल्मोड़ा में एक मीडिया प्रतिष्ठान में काम करते थे। लॉकडाउन में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। साल 2021 में बैंक से लोन लेकर उनके पति ने एक टैक्सी खरीदी। अचानक से सुरेश जोशी की तबियत बिगड़ गई।
पति से लिया कार चलाने का प्रशिक्षण
टैक्सी घर पर ही खड़ी रहने के कारण उसकी किश्त तक देना मुश्किल हो गया। जिस कारण तमाम दिक्कतें आने लगी। पिछले साल 2022 में उन्होंने पति से विचार विमर्श कर टैक्सी चलाने की सोची। मई 2022 में उन्होंने अपने पति से कार चलाने का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। कुछ ही समय में ममता कार चलाने योग्य हो गई। लेकिन लाइसेंस न होने के कारण वह टैक्सी नहीं चला पाई। ममता ने इस दौरान भी प्रशिक्षण लेना जारी रखा।
टैक्सी चलाने के साथ ही रखती है परिजनों का ख्याल
आगे ममता बताती है कि आठ मई को उनका लाइसेंस बन गया है। तभी से वह नियमित रूप से टैक्सी चला रही है। बता दें ममता ने इंटर तक की पढ़ाई की है और परिजनों के साथ ही यात्रियों का भी पूरा सहयोग उन्हें मिलता है। टैक्सी चालक ममता जोशी टैक्सी चलाने के साथ साथ घर के कामों में भी बराबर भागीदारी निभाती है। उनकी एक तीन साल की बेटी भी है। ममता के परिवार में पति, बेटी के अलावा सास- ससुर भी हैं।
आपको बता दें इससे कुछ महीने पहले रानीखेत की रेखा पांडे टैक्सी चलाने को लेकर चर्चा में आई थी। जिसके बाद रेखा पांडे ने उत्तराखंड में पहली महिला टैक्सी चालक होने का खिताब अपने नाम किया था।