उत्तराखंड में पर्वतीय इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने हेतु कांग्रेस नेता व सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को अब अंतिम चेतावनी दे दी है। कोर्ट ने सरकार के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।
हाईकोर्ट नैनीताल में जुलाई 2021 में अभिनव थापर के जरिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए। अगस्त 2022 में 4 जनवरी 2023 तक दोनों पक्षों को जवाब देने के बाद अंतिम बहस हेतु तिथि नियत की थी।
बुधवार को लगभग डेढ़ साल बीतने के बाद भी सरकार ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया । इस पर माननीय हाईकोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया और जनहित याचिका में उल्लेखित पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु समस्त मांगों पर सरकार को दिशा-निर्देश दिये ।
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने माननीय हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य बिंदु में आवास विभाग की हॉस्पिटल, नर्सिंग होम व स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले संस्थान के “वन टाइम सेटलमेंट- OTS- 2021” स्कीम में कमियों व क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट – CEA से संबंधित बिंदुओं को उठाया है।
इनके नियमों में शिथिलता से उत्तराखंड में हॉस्पिटल बेड की वर्तमान संख्या को घटने से रोकना व उनकी संख्या बढ़ाने का भी प्रावधान किया जा सकेगा। याचिका में पहाड़ी क्षेत्र में लिये विशेष शिथिलीकरण की मांग की गई है जिससे प्रदेश के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ सुविधाओं का अवसर बढ़ सके और पूरे प्रदेश को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके।
जनहित याचिका के माननीय हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विपिन सांघी व जस्टिस मनोज कुमार तिवारी की बेंच ने इस याचिका के स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के विषय पर सरकार की तरफ से अनदेखी का संज्ञान ले लिया है।
पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने हेतु शिथलीकरण की मांग पर सरकार को दिशा-निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता के मांगों पर गुण-दोष अनुसार कोर्ट के आदेशों से पहले ही स्वयं शासनादेश जारी कर पहाड़ और मैदान के नर्सिंग होम्स व हस्पतालों के नियमों पर दोहरे मापदंड को खत्म किया जाए।
कोर्ट ने सरकार को लताड़ लगाते हुए अंतिम अवसर दिया और चेतावनी देकर पुनः नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में याचिका पर अपना पक्ष रखने का अंतिम अवसर दिया। कोर्ट ने अब फ़ाइनल सुनवाई की तारीख 14 जून 2023 भी तय कर दी है।
वहीं इस मामले में अभिनव थापर ने कहा है कि, मेरी मांगों पर सहमति जताने के लिए माननीय हाईकोर्ट का सादर आभार। सरकार डेढ़ साल से जवाब देने से भाग रही थी किन्तु हमारे संघर्ष के बाद अंततः सरकार को अब पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं बढ़ाने के लिये नियमों शिथलीकरण करना पड़ेगा जिससे उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों को लाभ मिलेगा।