देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्ट अफसरों को चेतावनी दी थी। राजनीतिक दबाव बनाकर पोस्टिंग कराने वालों को भी चेताया था। सीएम पुष्कर सिंह धामी की चेतावनी के बाद भी शुगर मिल के दागदार अधिकारी आरके सेठ ने राजनीतिक दबाव बनाकर पोस्टिंग कराने के लिए सिफारिश लगवाई थी, लेकिन इसकी जानकारी लगने के बाद सीएम धामी ने आरके सेठ को सस्पेंड करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद तत्कालीन सचिव चंद्रेश कुमार यादव ने आरके सेठ को सस्पेंड कर दिया था। लेकिन गन्ना मंत्री स्वामी यतिस्वरानंद में मुख्यमंत्री के प्रयासों को बट्टा लगा दिया।
आरके सेठ पर करोड़ों की गड़बड़ी के आरोप
उत्तराखंड शुगर मिल के महाप्रबंधक रहे आरके सेठ पर करोड़ों की गड़बड़ी के आरोप लगे। इसके चलते उनको सस्पेंड भी किया गया। लेकिन, अब विभागीय मंत्री ने सेठ को उत्तराखंड सहकारी चीनी मिल्स संघ में महाप्रबंधक बनाने का लिखित आदेश जारी कर दिया है। उनको भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते तत्कालीन सचिव ने आरके सेठ को निलंबित कर दिया था।
विभागीय मंत्री ने बनाया आरके सेठ को महाप्रबंधक
जिस तरह से विभागीय मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने पहले विभागीय सचिव चंद्रेश कुमार यादव को हटवाया और फिर नए सचिव ने आरोपी अधिकारी आरके सेठ को फिर से उत्तराखंड सहकारी चीनी मिल्स संघ महाप्रबंधक बनवा दिया। उससे एक बात तो साफ है कि चीनी मिल में कोई बड़ा खेल होने वाला है। पूर्व गन्ना सचिव चंद्रेश यादव ने ही आरके सेठ पर लगे आरोपों की जांच कराई थी। इस बीच इस अफसर ने विभागीय मंत्री ने संपर्क किया। मंत्री ने लिखित आदेश किया कि इस अफसर को उत्तराखंड शुगर्स में महाप्रबंधक बनाया जाए।
सचिव ने आरोपों की गंभीरता को देखते हुए सेठ को निलंबित कर दिया
लेकिन, सचिव ने आरोपों की गंभीरता को देखते हुए सेठ को निलंबित कर दिया। इतना ही नहीं आदेश में यह भी लिखा कि यह अफसर राजनीतिक दबाव में पोस्टिंग करवाना चाहता है। अफसर को निलंबित करने के कुछ ही दिनों बाद ही चंद्रेश कुमार यादव को गन्ना विभाग के हटा दिया गया। इसके बाद हरबंश चुघ को गन्ना सचिव बनाया गया।मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि नए सचिव ने आरके सेठ को न केवल तत्काल बहाल कर दिया। बल्कि, मंत्री की इच्छानुसार दागी अफसर को उत्तराखंड शुगर्स के महाप्रबंधक जैसे अहम पद पर तैनाती का आदेश भी जारी कर दिये।
बंद पड़ी चीनी मिल को चलवाने की तैयारी में हो रहा बड़ा खेल
सितारगंज की बंद पड़ी चीनी मिल को चलवाने की तैयारी में बड़ा खेल हो रहा है। पहले इस मिल को चलवाने के लिए निकाले गए टेंडर में इच्छुक लोगों से 50 करोड़ रुपये की मांग की गई थी।ये था मामलाकिसान सहकारी चीनी मिल नादेही में 2016-17 और 2018-19 में वित्तीय घपलों पर तत्कालीन प्रधान प्रबंधक आरके सेठ के खिलाफ विभागीय जांच बैठाई गई। दरअसल, वित्त विभाग ने नादेही चीनी मिल में 2016-17 और 2018-19 का ऑडिट किया।
ऑडिट में भारी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ था। उस समय चीनी मिल में प्रधान प्रबंधक के पद पर आरके सेठ तैनात थे। आरोप है कि नादेही मिल से पांच हजार क्विंटल चीनी चोरी कर बेची गई। चोरी को छिपाने के लिए चीनी के कट्टों को फाड़कर चीनी बिखेर दी गई। जबकि प्लास्टिक के कट्टों पर कुंडी नहीं लगती है। जिससे करोड़ों रुपये की गड़बड़ी हुई है। चीनी मिल के गेट पर बिना दस्तावेज दिए गाड़ियां बाहर निकाली गईं।
ये हैं आरोप
– नादेही चीनी मिल से पांच हजार क्विंटल चीनी चोरी कर बेची गई।
– चीनी मिल में क्रय किए जाने वाले सामान में फर्जी बिल लगाए गए।- पेराई सत्र 2017-18 में चीनी मिल में 60 प्रतिशत अर्ली गन्ना होने पर रिकवरी 10.60 आई। चीनी पर्ता कम दिखाकर गड़बड़ी की गई।
– मिल समिति की एक गाड़ी एक लाख 70 हजार किलोमीटर चलाई गई। जबकि मिल में तीन गाड़ियां हैं।
– आउटसोर्स वर्करों को कागजों में ज्यादा दिखाकर कम वर्करों से काम लिया गया।
– सेठ ने फरवरी 2008 में सितारगंज चीनी मिल में सहायक अभियंता पद से त्याग पत्र दिया। एक साल तक बाहर रहने के बाद दोबारा गदरपुर चीनी मिल में तैनाती हुई। साथ ही उप मुख्य अभियंता, मुख्य अभियंता, प्रधान प्रबंधक के पद पर पदोन्नति की गई।
– 30 साल के सेवाकाल में 15 साल से अधिक समय नादेही चीनी मिल में विभिन्न पदों पर तैनात रहे।