कोरोना संक्रमण के बीच ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमदेसीविर और ऑक्सीमीटर के कालाबाजारी के कई मामले सामने आए थे वहीं अब इसका शिकार खुद मंत्री हरक सिंह रावत के परिजन भी हो गए. बता दें कि बीते दिन कोविड प्रभारी मंत्री हरक सिंह रावत कोरोना संक्रमित अपनी भांजी को देखने अस्पताल पहुंचे थे जहां ऑक्सीमीटर की गलत रीडिंग दिखाने पर वो भड़क गए। बता दें कि इससे पहले भी उनका भांजा कोरोना संक्रमित पाया गया था और उसका इलाज देहरादून के एक निजी अस्पताल में चल रहा था जहां लापरवाही पर हरक सिंह रावत भड़क गए थे और उनका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। सरकार के मंत्री ने खुद सिस्टम की पोल खोली थी।
वहीं फिर कुछ ऐसा एक बार फिर हुआ वह भी वन मंत्री हरक सिंह रावत के साथ। दवाइयों और ऑक्सीमीटर के साथ ऑक्सीजन की कालाबाजारी की खबरों के बीच मंत्री हरक सिंह रावत के परिजन भी खुद उस कालाबाजारी के शिकार हो गए। दरअसल पौडी़ में अपनी भांजी के हालचाल पूछने के दौरान उन्होंने ऑक्सीजन स्तर मापने को कहा, तो ऑक्सीजन स्तर 78 आया।रीडिंग पर विश्वास न होने पर उन्होंने स्वयं के पास उपलब्ध ऑक्सीमीटर से चेक किया, तो ऑक्सीजन स्तर 95 आया। गलत रीडिंग देने वाला ऑक्सीमीटर बाजार से 1700 रुपये में खरीदा गया था। जो वास्तविक कीमत से अधिक रूपये में खरीदा गया था। नकली ऑक्सीमीटर के शिकार खुद कोविड प्रभारी मंत्री हरक सिंह के परिजन भी हुए हैं।
वहीं इसके बाद मंत्री हरक सिंह ने डुप्लीकेट उपकरणों के बिक्री पर नाराजगी जताते हुए श्रीनगर, पौड़ी और कोटद्वार में एसडीएम की अध्यक्षता में संबंधित क्षेत्र के अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक व सीओ की टीम गठित करने के निर्देश दिए हैं। मंत्री ने बताया कि कालाबाजारी रोकने के लिए यह टीम औचक निरीक्षण करेगी। यह टीम मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण कर दवाओं और उपकरणों के सैंपल लेगी।