देश में कोरोना का कहर जारी है। पिछले 24 घंटे के आंकड़़ों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। 24 घंटे में 2 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं। वहीं 1000 से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना से हुई है। इसी के साथ शव जलाने के लिए गाइडलाइन का पालन अनिवार्य है। लेकिन अब परिजनों की फजीहत हो रही है। जी हां बता दें कि कोरोना से संक्रमित शवों को विद्युत शवदाह गृह में ही जलाना है। इसके लिए बांस घाट, गुलबी घाट और खजेकला घाट के विद्युत शवदाह गृह को दुरुस्त किया जा रहा हैं। बिहार में हालात खराब होते जा रहे हैं। कहीं बेड कम पड़ गए हैं तो कहीं शव जलाने के लिए एंबुलेंसों की लंबी कतारें लगी है। अभी तक सिर्फ बांस घाट में संक्रमित शवों को जलाया जा रहा था। जिससे लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता था। लकड़ी पर संक्रमित शव को नहीं जलाना हैं। वहीं गरीब परिवार के ऐसे मृतक जो संक्रमित नहीं हैं उनके शवों को भी विद्युत शवदाह गृह में ही जलाना पड़ रहा है। इससे लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। एंबुलेंस की लंबी कतारें लगी है। परिजन परेशान हो रहे हैं।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार बिहार के बांस घाट, गुलबी घाट और खजेकला घाट में शाम 7 बजे तक यहां 10 कोरोना की डेड बॉडी को जलाया गया। प्रत्येक डेड बॉडी को जलाने में एक से डेढ़ घंटे का समय लग रहा है। दूसरी मशीन खराब है जिससे परिजनों की फजीहत हो रही है। गुलाबी घाट पर पहले दिन शाम 5 बजे तक 8 शवों को जलाया गया। अभी तक पूरा लोड बांस घाट पर ही था। बांस घाट पर 12 अप्रैल को 24 शव और 13 अप्रैल को 32 शव को जलाया गया। डेड बॉडी की लंबी कतार को देखते हुए नगर निगम और जिला प्रशासन ने 14 अप्रैल को गुलबी घाट की एक बंद पड़ी मशीन को चालू कर दिया है।