चमोली आपदा की चपेट में आए और मौत को मात देकर वापस लौटे एक शख्स ने अपनी आपबीती मीडिया को सुनाई और बताया कि कैसे हमेशा से प्रकृति के खिलाफ काम करने पर भी प्रकृति ने उसे बचाया। जी हां बता दें कि इस आपदा में मौत को मात देकर लौटे लम्बागढ़ गांव निवासी 49 साल के विक्रम चौहान ने बताया कि आपदा वाले दिन यानी की रविवार वो रोज की तरह सुबह काम पर गए थे। अचानक ठंडे पानी का सैलाब आया और हम सबकों अपने साथ ले गया। आपबीती सुनाते हुए कहा कि वो एक पेड़ से टकराए जिसे उन्होंने पूरी ताकत से पकड़ लिया और अगले 30 मिनट तक वैसी लटके रहे।
उन्होंने बताया कि रैणी गांव के कुछ लोगों ने उन्हें देखा और मदद के दौड़े आए। उन्हें वहां से बाहर निकाला. विक्रम सिंह ने बताया कि ठंडे पानी में भीगने के कारण वो ठिठुर रहे थे। रैणी गांव के लोगों ने मुझे रेस्क्यू कर तुरंत पास में मौजूद एक गर्म जलधारे में स्त्रोत में डुबाया। विक्रम ने रोते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा पहाड़ों को काटा और जमीनें खोदी जो की उनका काम था। कहा कि उन्होंने कभी प्रकृति की चिंता नहीं की लेकिन आज उसी प्रकृति ने उसे बचाया है।
विक्रम चौहान ने मीडिया को बताया कि 7 फरवरी के दिन वो डैम पर ही मौजूद थे. उन्होंने मौत का पूरा मंज़र अपनी आँखों से देखा. विक्रम सिंह का कहना है कि मैं पेड़ों को सम्मान देता था क्योंकि वो हमें जीने के लिये ऑक्सीजन देते हैं इससे ज्यादा कुछ नहीं. पर उस दिन मैंने जिन्दगी का एक महत्वपूर्ण सबक सीखा प्रकृति में बचाने और नाश करने दोनों की ताकत है. विक्रम का ईलाज करने वाले डॉक्टरों का भी यही कहना है कि विक्रम को प्रकृति ने बचाया. गांव वालों ने उसे गर्म पानी के स्त्रोत में डाला ये उसके बचने का एक महत्वपूर्ण कारण है. आपको बता दें कि चमोली के लम्बागढ़ गांव के रहने वाले विक्रम के दो अन्य साथी फ़िलहाल लापता हैं. तीनों पिछले पांच साल से डैम में काम कर रहे हैं और एक दूसरे को सालों से जानते हैं। विक्रम को उम्मीद है कि उसके साथी जल्द लौट आएंगे। उन्हें पूरा विश्वास है कि उनके लापता साथी लौट आएंगे।