देहरादून (मनीष डंगवाल) : उत्तराखंड पर्यटन प्रदेश है और पिछले कुछ सालों से बड़ी तादाद में पर्यटक उत्तराखंड पहुंच रहे हैं,लिहाजा केंद्र सरकार भी उत्तराखंड में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए दो अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाना चाहती है. जौलीग्रांट एयरपोर्ट और पंतनगर एयरपोर्ट इसके लिए चिन्हित किए गए हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पंतनगर को बनाने के लिए एयरपोर्ट को शिफ्ट करना पड़ रहा है, जिसको लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो गई है…क्या है ये विवाद देखिए ये खास रिपार्ट।
पंतनगर एय़रपोर्ट की शिफ्टिंग को लेकर विवाद
पंतनगर एयर पोर्ट को अंतराष्ट्रीय एयर पोर्ट बनाने की दिशा में काम शुरू तो हो गया है लेकिन पंतनगर एयरपोर्ट अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट बने इसके लिए एयरपोर्ट को शिफ्ट किया जा रहा है,क्योंकि अंतराष्ट्रीय एयर पोर्ट के लिए 3400 मीटर की हवाई पट्टी उडान भरने के लिए चाहिए जबकि अभी पंतनगर एयर पोर्ट की पट्टी महज 1470 मीटर की है एसे में केंद्रीय नागरिक उड़यन मंत्रालय ने एयर पोर्ट को शिफ्ट करने का निर्णय लिया है लेकिन नागरिक उड़यन मंत्रालय में इस फैसले से उत्तराखंड में विवाद की स्थिति पैदा हो गई है. केंद्रीय नागरिक मंत्रालय चाहता है कि पंत नगर एयर पोर्ट नैनीताल जिले के वरहैनी में बने जिसके लिए भारतीय विमान पतन ने 800 एकड़ भूमि का सर्वे भी कर लिया है जो पूरी तरह से एयरपोर्ट के लिए उपयुक्त भी पाई गई है.
यहां शिफ्ट करना चाहते हैं एयरपोर्ट
सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड नागरिक उड़यन विभाग और उत्तराखंड सरकार उद्योपतियों के दबाव में आकर यूपी की सीमा से लगे किच्छा के अटरिया में एयर पोर्ट शिफ्ट करना चाहते हैं ताकि उद्योगपतियों को इससे फायदा हो लेकिन उत्तराखंड के जनप्रतिनिधी इसको लेकर जाग गए है.
भाजपा के 34 विधायकों और कांग्रेस के 6 विधायकों का समर्थन, कैबिनेट मंत्री भी
उत्तराखंड भाजपा के 34 विधायकों के साथ कांग्रेस के 6 विधायकों और यहां तक के उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, यशपाल आर्य और अरविंद पाण्डेय ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर एयर पोर्ट को नैनीताल जिले के वरहैनी में ही बनाए जाने की मांग की है। सभी ने अपने पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि उत्तराखंड राज्य की स्थापना पहाड़ में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाने को लेकर की थी इसलिए एयरपोर्ट को यूपी की सीमा पर न लेजा कर नैनीताल के वरहैनी में ही बनाया जाएं।
भाजपा विधायक बंशीधर भगत का बयान
भाजपा विधायक बंशीधर भगत तो सीधे तौर से कह रहे हैं कि किच्छा में जो भूमि एयरपोर्ट को लेकर देखी जा रही है वह दलदली है और एयरपोर्ट के लिए उपयुक्त नहीं है, इसलिए वह मुख्यमंत्री सेे मांग करते हैं कि वरहैनी में ही एयरपोर्ट बनाया जाए. वरहैनी में एयर पोर्ट बनाएं जाने का एक फायदा ये है कि कुंमाऊ के जिलों से वरहैनी की दूरी लगभग एकसमान है। साथ ही उत्तराखंड जिस मूल भावना के साथ बनाया गया था उसका सपना भी सकार हो सके कि पहाड़ी राज्य का अंतराष्ट्रीय एयर पोर्ट पहाड़ में है।
केशव कुमार ने दी आंदोलन की चेतावनी
सामाजिक कार्यकर्ता केशव कुमार पासी जो एयरपोर्ट को वरहैनी में ही बनाने की लड़ाई लड़ रहे हैं उनका कहना कि अभी वह उत्तराखंड के विधायकों से समर्थन मांग रहे हैं और मुख्यमंत्री से भी उनहोंने वार्ता की है. अगर वरहैनी में अंतराष्ट्रीय एयर पोर्ट नहीं बनाया जाता है तो इसके लिए आंदोलन करने को तैयार हैं।
कौन हैं वो जो डाल रहे अडंगा?
कुल मिलाकर पूरे मामले को समझा जाए तो साफ है कि जब केंद्रीय नागरिक उड़यन मंत्रालय वरहैनी में अंतराष्ट्रीय एयर पोर्ट बनाने की सहमति प्रदान कर चुका है तो फिर वह कौन लोग हैं जो उत्तराखंड के उन जनप्रतिनिधियों की भावनाओं को भी नहीं समझ पा रहे हैं जिन्हें जनता ने चुना है और जनता के सेवक हैं. ऐसे में देखना ये होगा कि जब खुलकर कैबिनेट मंत्री सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक वरहैनी में अंतराष्ट्रीय एयर पोर्ट बनाने के पक्ष में खडे हैं तो फिर क्या कोई बाधा ऐसे में एयरपोर्ट बनाने में आएंगी।