देहरादून-आने वाली 19 सितंबर सूबे की सरकार पर भारी पड़ेगा। ये ज्योतिषीय आंकलन के तहत कोई ग्रहों की चाल के नफ़ा-नुकसान का समीकरण नहीं बल्कि बीते 6 सितंबर को हुई कैबिनेट बैठक में लिए फैसलाें का परिणाम हैं। दरअसल उस कैबिनेट मं टीएसआर कैबिनेट ने राज्य के ऊर्जा निगम में जहां सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का निर्णय लिया वहीं राज्य के दूसरे कई निगमों और महकमों की इस मांग पर गौर नहीं फरमाया।
जिसका नतीजा ये है कि राज्य निगम, जल निगम, विकास प्राधिकरण, जिला पंचायत, उत्तराखंड रोड़वेज इंप्लाइज यूनियन के मुलाजिम कर्मचारी महासंघ के बैनर तले 19 सितंबर को हड़ताल पर रहेंगे। जाहिर सी बात है कि उक्त महकमों में उस दिन हड़ताल के चलते पत्ता भी नहीं हिल पाएगा।
कोढ़ में खाज वाली बात ये है कि ठीक उसी रात यानि 19 सितंबर को अपने साथ हुई वादाखिलाफी के आरोप में रोड़वेज की तकरीबन सभी यूनियन हड़ताल पर चली जाएंगी। रात को रोड़वेज का पहिया भी जाम हो जाएगा और 20 तारीख सुबह सफर पर निकलने वाली आम जनता की फजीहत होना तय हो गया है। लिहाजा सुबह जब मुसाफिर रोड़वेज की बस को तलाशेंगे और हड़ताल का पता चलने पर सरकार को पानी पी-पी कर कोसेंगे।
खबर के मुताबिक रोड़वेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के साथ -साथ उत्तरांचल रोड़वेज कर्मचारी यूनियन समेत दूसरी यूनियन मे भी इस बार की हड़ताल के लिए एका हो गया है। दरअसल उत्तराखंड परिवहन निगम के कर्मचारी सरकार के बर्ताव से नाराज हैं।
सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए यूनियन पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने उनसे वायादा किया था कि 25 अगस्त तक रोड़वेज में भी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशे लागू हो जाएगी। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। सरकार ने ऊर्जा विभाग के तीनों निगमो में सातवां वेतनमान मंजूर कर लिया लेकिन रोड़वेज समेत कई दूसरे निगमो और निकायों को छोड़ दिया है। एेसे में तय है कि अगर सरकार ने मुलाजिमों को तल्ख तेवर हल्के मे लिए तो 19 और 20 सितंबर सरकार पर भारी गुजरेंगे।