रियो डि जिनेरियो- अगर साक्षी करिश्मा न करती तो कहना पड़ता बेआबरू होकर निकले तेरे कूचे से हम । जी हां हम रियो ऑलम्पिक मे भारत के प्रदर्शन की बात कर रहे हैं। हालांकि ये सच है कि हमारी नीतियां खेल को बढ़ावा देने वाली नही हैं। हम खेलों को बढ़ावा देने के लिये 12 महीने ईमानदार नही रहते। बावजूद इसके हरियाणा की साक्षी मलिक रियो मे देश की बेटी साबित हुई और भारत की झोली मे कांस्य पदक डाल ही दिया।
भारतीय पहलवान साक्षी मलिक ने रियो अोलम्पिक मे किर्गिस्तान की ताइनिवेकोवा आइसिलु को 8- 5 से शिकस्त देकर पदक का सूखा खत्म कर दिया। कांस्य पदक के लिये हुए मुकाबले में साक्षी पहले राउड मे अपने प्रतिद्वंदी से 5-0 से पीछे थी। लेकिन साक्षी ने हार नही मानी और अपने हौॆंसले को बरकरार रखा। जिसकी बदौलत दूसरे रांउड में साक्षी ने आक्रमकता दिखाते हुए विपक्षी पहलवान पर 8 अंकों की बढत हासिल कर ली और इसी बढ़त ने साक्षी को जीत जबकि भारत की झोली मे कास्य पदक ड़ाल दिया।
इससे पहले साक्षी ने रेपचेज के पहले मुकाबले मे मंगोलिया की ओर्कोन पुरवडडोर्ज को 12-3 से हराया था । हरियाणा के रोहतक जिले की साक्षी ने 53 किलोग्राम भार वर्ग के क्वालिफिकेशन रांउड में स्वीडन की जोहाना मैट्सन को 5-4 से पराजित करके एलिमिनेशन रांउड के लिए अपनी जगह पक्की की थी। जबकि एलिमिनेशन रांउड मे मोल्दोवा की मरियाना चेरदिवारा को हराकर क्वार्टर फाइनल के लिये अपनी जगह बनाई थी लेकिन क्वार्टर फाइनल मे साक्षी रूस की वैलिरिया कोब्लोवा झोलोबोवा से 9-2 के अंतर से हार गई थी।