ऋषिकेश : सीमा हो या जंग का मैदान सैनिक अपनी जान पर खेलकर देश की रक्षा करते हैं। साथ ही शासन-प्रशासन भी सैनिक परिवारों की हर संभव मदद का दावा भी करता रहता है। मगर हकीकत इससे इतर है। पौड़ी जिले के पूर्व सैनिक की पत्नी पिछले 13 वर्षों से विधवा पेंशन के लिए अधिकारियों व माननीयों के चक्कर काटने पर मजबूर है। लेकिन अब तक उनकी समस्या का निस्तारण नहीं हुआ।
पौड़ी जिले के गगवाडस्यूं पट्टी के उज्याड़ी गांव के स्व. ठाकुर सिंह कठैत सेना में कार्यरत थे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने दिल्ली के एक बैंक में सुरक्षाकर्मी के रूप में सेवा दी। लेकिन वर्ष 2005 से उनका कुछ पता नहीं चला। गुमशुदगी के सात वर्ष बीत जाने पर उन्हें मृत मानकर सेना ने उनकी पत्नी कांती देवी को पेंशन देने शुरू की। मगर जिस बैंक में उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद नौकरी की उस बैंक ने उन्हें पेंशन नहीं दी।
कांती देवी ने बताया कि न्यायालय में 2013 से 2016 तक इस मामले में मुकदमा भी चला। जिस पर न्यायालय ने बैंक को सभी देयकों के भुगतान करने का आदेश दिया, लेकिन आज तक भुगतान नहीं किया गया है। उनके पुत्र जीतेन्द्र कठैत ने बताया कि मामले में वह तत्कालीन मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र लिख चुके हैं। लेकिन पीएमओ ने उनकी शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह उनके और बैंक के बीच का मामला है।
जितेंद्र ने बताया कि उनके पिता के बैंक में नौकरी करने के दौरान उनका पीएफ भी काटा जाता था, लेकिन यह पीएफ व पेंशन आज तक उन्हें नहीं दी गई