दिवाली का पर्व धनतेरस से शुरु होकर भैया दूज पर खत्म होता है। इस साल 29 अक्टूबर को धनतेरस है। आमतौर पर घरों में रखी देवी देवताओं की मूर्ति सालों साल मंदिर में स्थापित रहती हैं, लेकिन हर साल दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन के लिए नई मूर्ति खरीदी जी है। नई मूर्ति खरीदना काफी शुभ माना जाता है। आइये जानते हैं दिपावली पर लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ति खरीदने का क्या है महत्व?
क्या है नई मूर्ति लाने का महत्व?
धार्मिक मान्यताओं को अनुसार, पुरानी मूर्तियां एक साल तक पूजा के बाद पवित्रता खो देती हैं। इसलिए पुरानी मूर्ति को विसर्जित कर नई मूर्ति की पूजा करने का विधान है। यह एक नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। यह जीवन में नई सकारात्मकता ऊर्जा, सुख-समृद्धि और खुशहाली लाता है। कहा जाता है कि नई मूर्ति लाने से घर में शुद्धिकरण और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
स्वच्छ और पूजनीय स्थल पर रखें नई मूर्ति
मान्यता है कि इससे पुरानी समस्याएं दूर होती हैं। जीवन में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलता है। जब भी नई मूर्ति लाएं तो उसे पूजास्थल पर स्वच्छ और पूजनीय स्थल पर रखें। दिवाली की शाम को शुभ मुहूर्त में विधिवत पूजा-अर्चना करें।