किसी देश में खुद प्रधानमंत्री का हड़ताल पर चले जाना देश में गंभीर चिंता का विषय है। ऐसा ही कुछ आइसलैंड में देखने को मिल रहा है। वहां की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकब्सडॉटिर अन्य महिला कर्मियों के साथ हड़ताल पर चली गई है।
इस अनोखी हड़ताल से देशभर में स्कूल बंद हो गए हैं। अस्पलातों में कर्मियों की कमी हो गई है। कर्मचारियों की कमी को देखते हुए टीवी और रेडियो प्रसारणों में कमी की गई है।
महिलाओं के साथ हो रहा लैंगिक भेदभाव- पीएम
आइसलैंड की पीएम का कहना है कि उनके देश में अभी भी महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव किया जा रहा है। उन्हें बराबरी का दर्जा नहीं मिल रहा है। साथ ही महिलाओं का वेतन भी पुरूषों से आधा है। इसलिए वो महिलाओं के साथ वेतन समेत अन्य कारकों को देखते हुए हड़ताल पर चली गई है। साथ ही उन्होनें अपने मंत्रीमंडल की अन्य महिलाओं को भी ऐसा ही करने को कहा है।
इससे पहले 1975 में हुई थी बड़ी हड़ताल
वहीं हड़ताल का आहवान करने वाली आइसलैंड की ट्रेड यूनियनों ने महिलाओं से कहा कि वे घरेलू कामों समेत भुगतान और अवैतनिक दोनों तरह के काम न करें। बता दें कि इससे पहले आइसलैंड में बड़ी हड़ताल 24 अक्तूबर, 1975 को हुई थी। उस समय भी 90 फीसदी महिला कर्मचारी कार्यस्थल पर भेदभाव के विरोध में सड़क पर उतरी थीं।
वेतन में असमानता को लेकर नाराजगी
बता दें कि आइसलैंड की आबादी 3.80 लाख है, लेकिन 14 सालों से लैंगिक समानता में ये देश शीर्ष पर है। विश्व आर्थिक मंच के अनुसार वेतन समेत अन्य कारकों में अन्य किसी देश ने पूर्ण समानता हासिल नहीं की है। बावजूद इसके वेतन में असमानता को लेकर नाराजगी है।