देहरादून: भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल और कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की जुबानी जंग खत्म तो नहीं हुई, लेकिन कुछ कम जरूर हो गई। हालांकि कानूनी लड़ाई अब भी चल रही है। इन सब बातों से हटकर जो सवाल है, वो ये है कि आखिर चैंपियन से भाजपा क्यों बार-बार मात खा रही है। चैंनियन का ऐसा क्या डर है, जो भाजपा उनको अनुशासनहीनता के मामले में बार-बार मोहल्लत दे रही है। भाजपा संगठन के सूत्रों की मानें, तो अगर चैंनियन उनको दिए अंतिम मौके पर भी समिति के सामने उपस्थित नहीं होते हैं, तो पार्टी उनके खिलाफ बड़ा एक्शन ले सकती है।
विधायक देशराज कर्णवाल और कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के बीच जुबानी जंग ऐसी चली थी कि दोनों एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे। चैंपियन ने कर्णवाल को कुश्ती लड़ने के लिए ललकारा तो जवाब में कर्णवाल ने कहा था कि आजकल कुश्ती का जमाना नहीं गोली चलाने का जमाना है। इतना ही नहीं दोनों ने एक-दूसरे के लिए अपशब्द तक कहे थे।
भाजपा संगठन की अनुशासनात्मक समिति ने दोनों विधायकों को तलब किया था। देशराज कर्णवाल ने तो समिति के सामने पेश होकर अपने बयान दे दिए थे, लेकिन चैंपियन ने चुनाव प्रचार में व्यस्त होने की बात कहकर उपस्थित होने में असमर्थता जाहिर कर दी थी। भाजपा ने फिर से चैंपियन को मौका दिया। चैंपियन ने फिर से कार्यक्रम में व्यस्त होने का बहाना बनाकर आने से इंकार कर दिया।
भाजपा ने चैंपियन को 24 मई को समिति के सामने पेश होने का आखिरी मौका दिया है। अब देखना होगा कि चैंपियन समिति के सामने उपस्थित होते हैं या फिर चुनाव परिणामों का बहाना बनाकर फिर से कन्नी काट जाएंगे। चैंपियन का ये व्यवहार भाजपा के लिए भी बड़ा चैलेंज है। अगर चैंपियन 24 मई को भी नहीं पहुंचे, तो भाजपा क्या करेगी ? क्या भाजपा चैंपियन को पार्टी से निकाल देगी या फिर उनके खिलाफ कुछ और कार्रवाई करेगी ? बहरहाल लोगों की जुबां पर एक ही बात है कि भाजपा संगठन चैंपियन से डरा हुआ है। इसलिए उनको बार-बार मौका दिया जा रहा है।