374 सालों से उत्तराखंड की इन जगहों पर नहीं मनाई गई होली, इस अनहोनी का है डर 

holi banned in These villages of Uttarakhand

उत्तराखंड में  कई ऐसे गांव हैं जहां पर सालों से होली नहीं मनाई जाती है। इन गांवों में लोग होली मनाने से किसी अनहोनी के होने से डरते हैं। 

उत्तराखंड के कई  गांवों में बैन है होली

पिथौरागढ़ जिले के 100 गांव और रुद्रप्रयाग में कुछ गांवों में होली नहीं मनाई जाती है। इन गांवों में होली मनाना अपशकुन माना जाता है। 

 इन गांव में नही मनाई जाती होली 

छिपलाकेदार में रांथी, जुम्मा, खेला, सहित ऐसे कई गांव हैं जहां होली पर कोई उल्लास नहीं होता। बुजुर्गों के अनुसार कई गांव शिव के पावन स्थल छिपला केदार में स्थित हैं। शिव की भूमि पर रंगों का प्रचलन नहीं माना जाता  

छिपलाकेदार  के गांव

मुनस्यारी के चौना, पापड़ी, मालूपाती, सहित कई गांवों में होली नहीं मनाई जाती है। पूर्वजों के मुताबिक एक बार होल्यार देवी के भराड़ी मंदिर में होली खेलने जा रहे थे। तब सांपों ने उनका रास्ता रोक दिया। जिसके बाद से परिवार में कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती थी। 

मुनस्यारी के कई गांव

इसी तरह डीडीहाट के दूनकोट क्षेत्र के गांव वालों का मानना है कि पहले गांवों में होली मनाने पर कई प्रकार के अपशकुन हुए। उन अपशकुनों को पूर्वजों ने होली से जोड़कर देखा। तब से यहां होली न मनाना परंपरा शुरू हो गई। 

डीडीहाट के गांव

रुद्रप्रयाग के तीन गांव क्विलि, क़ुर्झण, और जौंदला के लोगों का मानना है कि गांव की इष्टदेवी मां त्रिपुरा सुंदरी को होली पर हुड़दंग पसंद नहीं है। कुछ साल पहले किसी ने ये नियम तोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन उसी साल यहां महामारी फैल गयी थी। 

रुद्रप्रयाग के तीन गांव

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