क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड? कैसे करता है काम ? जानें सब कुछ
इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को 15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। जिसके बाद कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से अब तक किए गए योगदान के सभी विवरण को चुनाव आयोग को देंने के आदेश दिए थे।
जिसके बाद इलेक्शन कमीशन ने अपनी वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड के नबंर्स सावजनिक कर दिए। ऐसे में चलिए जानते है की इलेक्टोरल बॉन्ड होता क्या है? और कैसे काम करता है?
भारत सरकार ने साल 2017 में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना का ऐलान किया था। इस योजना को 29 जनवरी 2018 को लागू कर दिया था।
आसान भाषा में, इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक जरिया है। सरकार हर साल चार बार (जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर) इलेक्टोरल बॉन्ड को दस दिनों के लिए जारी करती है।
इसमें भारत का कोई भी नागरिक/ कंपनी बॉन्ड़ खरीद सकता है और गुमनाम तरीके से अपनी पसंदीदा राजनीतिक दल को दान कर सकता है।
चंदा देने वाले अलग-अलग मूल्य के बॉन्ड खरीद सकते हैं। जिसमें एक हजार, दस हजार, दस लाख और एक करोड़ शामिल है।
बॉन्ड खरीदने के बाद 15 दिनों के अदंर पसंदीदा पार्टी को बॉन्ड दिए जाते है। जिसके बाद पार्टी इन बॉन्ड्स को भुनाकर पैसों में कन्वर्ट करती है।