उत्तराखंड में आने वाले समय में जल संकट गहरा सकता है। इस बात का खुलासा केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय की ओर की ओर से जारी वाटर बॉडीज सेंसस रिपोर्ट से हुआ। इसके मुताबिक उत्तराखंड के 23 प्रतिशत झील और तालाब सूख चुके हैं।
प्रदेश में गहरा सकता है जल संकट
केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय की ओर की ओर से पहली बार देश में वाटर बॉडीज सेंसस रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में उत्तराखंड की स्थिति अच्छी नहीं है। आने वाले समय में प्रदेश में जल संकट गहरा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 23 प्रतिशत झील और तालाब पूरी तरह सूख चुके हैं।
725 जलाशय पूरी तरह से सूखे
केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय की ओर से देशभर में पहली बार कराए गए सर्वे के बाद वाटर बॉडीज सेंसस रिपोर्ट को जारी किया गया है। प्रदेश में कुल 3096 जलाशय मौजूद हैं। जिसमें से 725 जलाशय पूरी तरह से सूख गए हैं। इस रिपोर्ट ने चिंता को बढ़ा दिया है।
प्रदेश में 2970 जलाशय ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। जबकि 126 जलाशय शहरी क्षेत्रों में हैं। यानी 95.9 प्रतिशत जलाशय प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। जबकि 4.1 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में हैं। जिसमें से 2371 जलाशयों (76.6 प्रतिशत) में ही पानी पाया गया है। बाकी के 23.4 प्रतिशत जलाशय पूरी तरह से सूख चुके हैं।
जल प्रदूषण हैं जलाशयों के सूखने का प्रमुख कारण
इस रिपोर्ट में प्रदेश में जलाशयों के सूखने का प्रमुख कारण जल प्रदूषण को बताया गया है। इसके साथ ही फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित पानी, गाद भरने और स्रोतों के सिमटने को इसका कारण बताया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक इन जलाशयों को पुनर्जीवित भी नहीं किया जा सकता है। रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुा है कि कई जलाशयों पर अतिक्रमण किया गया है।
जल्द ही कदम ना उठाने पर परिणाम हो सकते घातक
इस रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड की स्थिति सही नहीं है। अगर ऐसा ही हाल रहा तो आने वाले कुछ ही सालों में प्रदेश में जल संकट गहरा सकता है। प्रदेश में बाकी बचे जलाशयों को बचाने के लिए जल्द ही कोई कड़ा कदम उठाने की आवश्कता है। अगर कोई कड़ा कदम नहीं उठाया गया तो इसका खामियाजा प्रदेशवासियों को ही भुगतना पड़ेगा।