बीते दिन पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएम के 42 जवान शहीद हो गए. इस हमले की देश भर में निंदा हो रही है और पाक मुर्दाबाद के नारे लग रहे हैं…साथ ही देश का हर नागरिक दिल में गुस्सा लिए एक बार फिर से सर्जिकल स्ट्राइक की मांग कर रहा है.
हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली
वहीं इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है।
1999 में किया खा सरगना कुख्यात आतंकी को रिहा
आपको बता दें जैश-ए-मोहम्मद का सरगना कुख्यात आतंकी मसूद अजहर है, जिसे साल 1999 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने प्लेन IC-814 के क्रू और यात्रियों के एवज में रिहा किया था। बीते कुछ सालों में जैश-ए-मोहम्मद ने कश्मीर घाटी में अपनी सक्रियता काफी बढ़ायी है। घाटी में जैश-ए-मोहम्मद की सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आतंकी संगठन ने इसी साल कश्मीर में दर्जन भर आतंकी हमलों को अंजाम दिया है।
पहले भी दे चुका है कई हमलों को दिया अंजाम
1. जैश-ए-मोहम्मद ने साल 2001 में संसद पर आतंकी हमले की घटना को अंजाम दिया था। इसके बाद पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले में भी जैश-ए-मोहम्मद का ही हाथ सामने आया था। इस हमले में सुरक्षाबलों के 7 जवान शहीद हो गए थे।
2. इसके बाद साल 2016 में हुए उरी हमले में भी जैश-ए-मोहम्मद की संलिप्तता पायी गई थी। जिसके बाद भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर इस हमले का बदला ले लिया था।
3. साल 2000 में भी जैश ने घाटी में अपने पहले हमले में विस्फोटकों से भरी एक कार को सेना के 15 कोर्प्स मुख्यालय में घुसा दिया था। इस हमले को 17 साल के आत्मघाती हमलावर ने अंजाम दिया था। हालांकि यह विस्फोट मुख्यालय के गेट पर ही हो गया था। इस हमले के विफल रहने पर जैश ने एक बार फिर एक ब्रिटिश नागरिक को कार में विस्फोट भरकर सेना की 15 कॉर्प्स के मुख्यालय पर हमला करने भेजा।
4. साल 2005 में जैश के एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को अवंतीपोरा में उड़ा लिया था।
5. जम्मू कश्मीर विधानसभा पर हुए हमले में भी जैश ए मोहम्मद का हाथ सामने आया था। इस हमले में 23 लोगों की मौत हो गई थी।