उत्तराखंड की धामी सरकार प्रदेश में सेतु (स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर एंपावर ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड) आयोग का गठन करने जा रही है। जिसे लेकर कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है। लेकिन क्या आप जानते हैं। सेतु आयोग क्या है और किस तरह से ये काम करेगा। विस्तार से खबर पढ़िए और समझिए आखिर क्या है सेतु आयोग।
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2014 में केंद्र सरकार के द्वारा केंद्र में योजना आयोग को खत्म कर नीति आयोग का गठन किया गया। जिसके बाद राज्यों को भी केंद्र सरकार के द्वारा निर्देश मिले थे कि राज्यों में राज्य योजना आयोग की जगह कोई दूसरा आयोग बनाया जाए। जिसके बाद प्रदेश की धामी सरकार ने अब राज्य योजना आयोग की जगह प्रदेश में सेतु आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लग चुकी है।
मई माह तक होगा आयोग का गठन
मुख्यमंत्री के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि आयोग का ढांचा तैयार किया जा रहा है। जिसके बाद मई माह तक आयोग का गठन भी हो जाएगा। राज्य योजना आयोग पहले पांच साल के लिए प्लान और नॉन प्लान तैयार करता था। लेकिन उत्तराखंड में अब प्लान और नॉन प्लान के तहत काम नहीं किया जाता है। जिसको लेकर राज्य योजना आयोग का कोई औचित्य नहीं बचा। इसी के चलते सरकार सेतु आयोग का गठन कर रही है।
ये होंगे सेतु आयोग के काम
- उत्तराखंड में विकास की संभावनाओं को लेकर सेतु आयोग शोध करेगा
- विकास से सम्बंधित किए गए शोध को लेकर सरकार को दिए जाएंगे सुझाव
- उत्तराखंड में विकास को लेकर परिवर्तन लाने के उद्देश्य से करेगा आयोग काम
- सामाजिक आर्थिक विकास पर भी आयोग की होगी नजर
- सुशासन और लोक नीति पर भी होगा फोकस
- विकास कार्यों की मॉनिटरिंग भी करेगा सेतु आयोग
सेतु आयोग में किसे मिलेगी कौन सी जिम्मेदारी
सेतु आयोग के अध्यक्ष सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी होंगे। आयोग के उपाध्यक्ष का चयन सीएम धामी ही करेंगे। आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी या तो प्रबुद्ध अर्थशास्त्री या फिर रिटायर ब्यूरोक्रेट होंगे। जिसके लिए चयन की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। एक्सपर्ट भी आयोग में होंगे लेकिन जरूरत के हिसाब से एक्सपर्ट की संख्या बढ़ाई जा सकती है। जबकि राज्य योजना आयोग का जो स्टाफ है उसे आयोग में मर्ज किया जाएगा।
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इनपुट- मनीष डंगवाल