देहरादून(मनीष डंगवाल)- उत्तराखंड कांग्रेस में वर्चस्व की जो लड़ाई चल रही है वह आसानी से समाप्त होने वाली नहीं है क्योंकि कांग्रेस में जो गुटबाजी पनप चुकी है,वह पार्टी के बाहर हो या भीतर सार्वजनिक रूप से साफ देखी जा सकती है। मीडिया में जारी बयानबाजी से हो या पार्टी फोरम पर कांग्रेस का एक गुट दूसरे गुट को घेरने के लिए कोइ मौका नहीं छोड़ता। प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह कैसे कांग्रेस की गुटबाजी को शांत करेंगे उनके लिए भी ये समझ से परे है।
कांग्रेसी नेताओं मंच से एक दूसरे पर बयानों के तेजधार बाण फेंके रहे थे
क्योंकि जब पहली बार अनुग्रह नारायण सिंह का सीधा संवाद अप्रैल महीने में कांग्रेसी नेताओं से हल्द्वानी में हुआ था,तो उस दिन भी कांग्रेसी नेताओं ने मंच से एक दूसरे पर बयानों के ऐसे बाण फेंके रहे थे जैसे वह आरोप वह अपनी पार्टी के नेताओं पर नहीं बल्कि विरोधी दल के नेताओं पर लगा रहे हों.
हरीश धामी,प्रदीप टम्टा,गोविंद सिंह कुंजवाल और हिमेश खर्कवाल ने तो संगठन पर कई गंभीर आरोप लगाए
वहीं 24 जुलाई को जब अनुग्रह नारायण सिंह पहली बार प्रभारी बनने के बाद देहरादून पहुंचे और कांग्रेसी नेताओं के साथ बैठक की तो कांग्रेसी की गुटबाजी जमकर इस बैठक में भी देखने को मिली। पार्टी के कई नेता जो जनप्रतिनिधि भी हैं उन्होने तो संगठन पर ऐसे हमले किए जैसे वह मानो अपनी भड़ास निकालकर साबित करना चाहते हों कि पार्टी उत्तराखंड में उन्ही पर निर्भर है। खासकर हरीश रावत गुट के नेताओं ने तो प्रदेश प्रभारी के सामने खुद को ऐसा साबित करने कीे कोशिश की उनही के कंधो पर पार्टी का सारा दारोमदार है। हरीश धामी,प्रदीप टम्टा,गोविंद सिंह कुंजवाल और हिमेश खर्कवाल ने तो संगठन पर कई गंभीर आरोप लगा दिए।
राहुल गांधी के पास पहुंची गुटबाजी की शिकायत
कांग्रेस इस समय उत्तराखंड में मुख्य रूप से दो धड़ों में बटी है. जिसमें एक धड़े पूर्व सीएम हरीश रावत और पूर्व प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय हैं तो दूसरे धड़ में प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और इंद्रा हृदियेश की जोड़ी है। एक तरह उत्तराखंड कांग्रेस में हरीश रावत और किशोर उपाध्याय की जोड़ी मजबूती दिखाने कीे कोशिश कर रही है कि वह अब गिले-सिखवे भुलाकर मजबूती के साथ खड़े हैं तो वहीं दूसरी तरफ प्रीतम सिंह और इंदिरा मजबूती से खड़े हैं जो हरीश रावत गुट का कई समय पर कमजोर दिखाने की कोशिश कर चुके हैं। लेकिन इन सब के बीच कांग्रेस की जो गुटबाजी है उसकी शिकायत राहुल गांधी के पास पहुंच चुकी है.
खबर उत्तराखंड के सूत्रों की माने तो इसकी शिकायत पहुंची राहुल गांधी तक, अखबारों की कटिंग भेजी
खबर उत्तराखंड के सूत्रों की माने तो 24 जुलाई को कांग्रेस की जो गुटबाजी देखने को मिली है,उसकी पूरी रिपोर्ट प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह ने राहुल गांधी को दे दी है। यहां तक कि अखबारों में गुटबाजी की जो खबरें और बयान गुटबाजी को हवा देने वाले है उनकी कटिंग भी राहुल गांधी को भेज दी गई है ताकि राहुल गांधी को भी यह पता चले कि आखिर उत्तराखंड कांग्रेस के क्या हाल है। कांग्रेस की गुटबाजी से प्रदेश प्रभारी भी काफी आहत बताएं जा रहे है।
प्रीतम सिंह को अनुग्रह के साथ की आस
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह से बड़ी आस है कि वह कांग्रेस के भीतर गुटबाजी को समाप्त करेंगे. जिससे उन्हे काम करने में आसानी हो. प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जब से प्रीतम ने कार्यभार संभाला है तब से ही वह गुटबाजी के चलते परेशान बताए जा रहे हैं और यही वजह है कि उन्हे अपनी टीम घोषित करने में दांतों तले चने दबाने पड़ रहे हैं। प्रीतम को समझ नहीं आ रहा है कि कैसे वह अपनी टीम घोषित करे जिससे वह ये कह सके की वह पार्टी में सभी को साथ लेेकर साथ चल रहे है।
सबसे बड़ी वजह प्रीतम की टीम में अपने लोगों को ज्यादा से ज्यादा एडजस्ट करने की
बताया जा रहा है कि कांग्रेस के भीतर जो गुटबाजी चल रही है उसकी सबसे बड़ी वजह प्रीतम की टीम में अपने लोगों को ज्यादा से ज्यादा एडजस्ट करने की है। हरीश रावत और किशोर उपाध्यााय इस फार्मुले पर काम कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना कि पार्टी नेताओं के द्वारा जो बातें कही जा रही है वह सब प्रदेश प्रभारी के संज्ञान में है,उनके प्रदेश प्रभारी काफी अनुभवी है वह बातों को अच्छे से समझते हैं।
प्रदेश प्रभारी को ये मालूम है कि कांग्रेस पार्टी को कौन नुकसान पहुंचा रहा है
यानी प्रीतम के बयान से साफ है कि प्रदेश प्रभारी को ये मालूम है कि कांग्रेस पार्टी को कौन नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे में प्रीतम को आस है कि प्रदेश प्रभारी को वह अपने पक्ष में लेकर अपने हिसाब से काम कर सकेंगे जो वह अभी तक नहीं कर पा रहे थे। लेकिन ऐसे में देखना ये होगा कि जब कांग्रेस की गुटबाजी की शिकायत राहुल गांधी के पास पहुंच चुकी है तो राहुल गांधी पर कोई एक्शन लेते है ताकि उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी खत्म हो सके।