देहरादून: कोन निचिवा, ओहायो गोजायमस, अरिगतो गोजायमस, गोमैन नसाई जैसे शब्द दून विश्वविद्यालय में गूंजते नजर आए. आप सोच रहे होंगे इन शब्दों का मतलब क्या होता है औ भला दून विश्वविद्यालय में ये शब्द क्यों बोले गए. दरअसल जापानी भाषा के इन शब्दों का मतलब होता है – `हेलो`, गुड मॉर्निंग, थैंक यू, सॉरी।
दून विश्वविद्यालय के जापानी भाषा विभाग में दोकि दोकि यानी की धक-धक, मनाया गया, हर साल मनाये जाने वाले इस फेस्ट को जापान की संस्कृती को बेहतर ढंग से छात्रों के सामने प्रस्तुत करने और सभी को जापान की सभ्यता से अवगत कराने के लिए मनाया जाता है। जापानी भाषा की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए जरूरी हो जाता है कि उन्हें यहीं देश में रहते हुए जापान के रहन-सहन, बोलचाल के तरीके और खान-पान के बारे में गहरी जानकारी हो।
दोकि-दोकि कार्यक्रम के तहत कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जैसे ओरिगामी-यानी जापान की मशहूर पेपर फोल्डिंग आर्ट। इसमें एक ही कागज के टुकड़े से पूरे मॉडल को बनाना पड़ता है। इसके अलावा जापान की संस्कृति को नृत्य, संगीत, नाटक और इंस्ट्रुमेंटल के जरिए छात्रों ने प्रस्तुत किया.
जापानी भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष रवि कुमार ने बताया की हर साल इस फेस्ट को मनाने का मकसद यही है कि जापानी पढ़ रहे बच्चों को जापान की संस्कृति को बताया जाए ताकि सांस्कृतिक और सामाजिक दोनों ही रूप से बच्चे तैयार हो सके। इससे उन्हें भविष्य में जापानियों के साथ जापान में या भारत में काम करने में सुविधा होगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सी. एस नौटियाल ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की। उन्होंने छात्रों को जमकर मेहनत करने की सलाह दी, साथ ही उनके प्रयास की सराहना की। कार्यक्रम में दीपिका भाटिया, आलोक कुमार, चंद्रिका कुमार सहित दून विश्वविश्वविद्यालय के तमाम शिक्षकों एवं छात्रों ने भागीदारी की।