देहरादून: घंटाघर के सौंदर्यीकरण से पहले इसकी जर्जर नींव को मजबूती देने के लिए नगर निगम ने कसरत शुरू कर दी है। घंटाघर पर एक करोड़ 42 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इनमें करीब 76 लाख रुपये सौंदर्यीकरण और 66 लाख रुपये इसकी नींव पर खर्च होंगे। निगम के मुताबिक ओएनजीसी की ओर से 76 लाख रुपये दिए गए हैं, जबकि बाकी निगम खुद उठाएगा। चिंता इसकी नींव को लेकर बनी हुई है। क्योंकि, जब तक नींव मजबूत नहीं होगी, तब तक सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू नहीं होगा। रविवार दोपहर महापौर विनोद चमोली ने इसकी नींव के सुधरीकरण कार्य का शिलान्यास किया।
नींव का दुरुस्तीकरण बेहद टेढ़ी खीर है। कोई भी निजी ठेकेदार यह काम उठाने को तैयार नहीं था तो निगम ने गत 21 फरवरी को यह काम ब्रिज, रोपवे, टनल एंड अदर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारर्पोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड को सौंपा। महापौर विनोद चमोली ने बताया कि गुजरे दो साल में नगर निगम ने घंटाघर की नींव दुरुस्त करने को तीन बार टेंडर निकाले गए थे। दो बार किसी ने बिड नहीं डाली और तीसरी बार जो ठेकेदार आए, उन्हें अनुभव ही नहीं था। इसका सौंदर्यीकरण का टेंडर 27 फरवरी 2016 को हो चुका है, लेकिन जब तक नींव का काम नहीं होगा, कोई भी काम नहीं हो सकता।
महापौर के मुताबिक ब्रिडकुल के पास शासन की अनुमति समेत विशेषज्ञों का पूरा पैनल है, जो इस जटिल कार्य को बेहतर अंजाम दे सकते हैं। इस दौरान नगर आयुक्त विजय कुमार जोगदांडे, अधिशासी अभियंता दिनेश शर्मा, सहायक अभियंता रचना पायल, पार्षद भूपेंद्र कठैत, सतीश कश्यप, नेहा गुप्ता, सविता ओबराय समेत शारदा गुप्ता आदि मौजूद रहे।
बस छह माह का और इंतजार
घंटाघर की टन-टन बजने और इसकी सुईयां चलने के लिए दूनवासियों पिछले नौ साल से इंतजार कर रहे। नगर निगम वर्ष 2008 से घंटाघर के सौंदर्यीकरण की कसरत कर रहा लेकिन लगातार यह काम आगे खिसकता जा रहा था। इसकी घड़ियों की सुइयां भी चलने लगेंगी और घंटा भी टन-टन कर रहा होगा। परिसर में फुव्वारे भी चलेंगे और आधुनिक चमचमाती हुई लाइटें भीं चमकेंगी। महापौर ने बताया कि यह काम छह माह में पूरा हो जाएगा। घड़ी को डिजीटल किया जाएगा, जिस पर करीब छह लाख रुपये खर्च होंगे।
नौ साल में तीन डीपीआर
नौ सालों से लंबित पड़ी घंटाघर के सौंदर्यीकरण की योजना साल 2008 में शुरू हुई थी। तब एक निजी कंपनी ने यह जिम्मा उठाने की बात कही थी मगर इसमें केवल घड़ी ठीक कराने पर सहमति बनी। डीपीआर बनी पर मामला कुछ परवान चढ़ा लेकिन टेंडर तक पहुंचकर खत्म हो गया। फिर साल 2013 में हुडको के साथ वार्ता आगे बढ़ी और सितंबर-2014 में 56 लाख 36 हजार की डीपीआर बनी। हुडको ने 40 लाख रुपये पर हामी भी भर दी थी लेकिन फंड क्लीयरेंस नहीं मिल सकी। फिर नगर निगम ने मसूरी देहरा विकास प्राधिकरण के साथ मिलकर ओएनजीसी से बातचीत की। इसमें विज्ञापन के मसले पर मामला अटका रहा। इस बीच तीनों विभागो में बात चलती रही। नई डीपीआर भी तैयार की गई। इसमें तय हुआ कि ओएनजीसी घंटाघर पर अपने विज्ञापन लगा सकेगा।