क्या ऐसा हो सकता है कि कोई सरकारी कर्मचारी अपने साथ काम करने वाले अधिनस्थ कर्मचारियों के साथ उनका मुखिया होने के नाते खुद को भी सजा दे? अमूमन ऐसा कम होता है लेकिन यूएस नगर से ऐसी ही एक खबर आई है। यहां एक तहसीलदार ने अपने अधिनस्थ 12 संग्रह अमीनों का वेतन रोक दिया। वजह थी लक्ष्य से कम राजस्व वसूली। खबर इतनी भर नहीं है, तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी ने अपना एक माह का वेतन रोक दिया। वजह संग्रह अमीनों का मुखिया होना।
दरअसल सितारगंज तहसील में इस वित्तीय वर्ष में 32 करोड़ रुपए के राजस्व की वसूली का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। संग्रह अमीनों ने काम ढंग से नहीं किया। नवंबर तक 45 फीसदी राजस्व की वसूली के निर्देश के बावजूद महज नौ फीसदी राजस्व की वसूली ही हो सकी। इससे नाराज तहसीलदार ने सभी 12 संग्रह अमीनों के वेतन रोकने का आदेश दे दिया। जगमोहन त्रिपाठी ने साथ ही अपना वेतन रोकने के निर्देश भी दिए। वो इसलिए क्योंकि बतौर विभाग के मुखिया राजस्व वसूली कि जिम्मेदारी उनकी भी बनती है। लिहाजा काम न होने के जिम्मेदार वो भी हैं। अब तहसीलदार के इस कदम से संग्रह अमीन बेचारगी वाली हालत में पहुंच गए हैं। वेतन रुका तो रुका ही लेकिन वेतन रोके जाने की शिकायत भी नहीं कर पा रहें हैं क्योंकि जिसको शिकायत सुननी हो उसका भी वेतन रुका है।