टिहरी(थौलधार)- लगता है राज्य के पहाड़ी जिलों के लिए उसका भूगोल ही उसके विकास के रास्ते का रोड़ा बन रहा है। हालात इतने नाजुक हैं कि सरकारी इमारतों के सुख-दुख की खबर खामुखांह की राजधानी देहरादून नहीं पहुंच पाती। अगर खबर पहुंच भी जाए तो काबिल सरकारों की फाइलों के तिलिस्म में मुद्दा कब तक भटकेगा कोई कुछ कह नहीं सकता।
कुछ ऐसा ही हो रहा है टिहरी जिले के थौलधार विकासखंड में बांडा गांव के साथ। इस गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है। विद्यालय तो आज भी है लेकिन उसकी इमारत पिछले एक-डेढ़ साल से जमीन पर धरासायी है। बताते हैं कि प्राथमिक विद्यालय की इमारत 1982 में बनी थी। लेकिन उसके बाद उसकी कभी मरम्मत नहीं हुई।
यूपी के जमाने में तो बांडा ने सोचना ही क्यों था, लेकिन राज्य बनने के बाद भी बांडा गांव के अपने ही स्कूल पर सरकारों ने नजरे इनायत करना मुनासिब नहीं समझा। अलग राज्य बने साल दर साल गुजरते रहे और हर साल स्कूल की इमारत जर्जर होती चली गई। एक दिन वो भी आया जब अचानक स्कूल की इमारत भरभराकर गिर गई। गनीमत ये रही कि हादसा उस वक्त हुआ जब विद्यालय में कोई भी मासूम नहीं था, वरना सराकारें कभी अपना मुंह न जनता को दिखा पाती न खुद आईने में देख पाती, बांडा गांव की भयावह तस्वीर उनको डरा कर रख देती।
बहरहाल आज आलम ये है कि बांडा गांव के जमीन में गिरी स्कूल इमारत को उठाने की किसी भी सरकार ने हिम्मत नहीं कि, हालांकि गांव की जनता हर चुनाव में अपने वोट का इस्तमाल इस उम्मीद से कर रही है कि कोई मसीहा गांव में तालीम की पहली सीढ़ी को संवारेगा।
गजब की बात देखिए ऐसा नहीं कि गांव स्तर पर कोशिशें न हुई हों, गांव की प्रधान ने साल 2015-16 के दौरान स्थानीय विधायक साहब को भी खत लिखा था। प्राथमिक शिक्षा निदेशक से भी खत-ए-किताबात हुई थी लेकिन मामला ज्यूं का त्यों ही रहा। न हुक्मरानों को बांडा गांव की बेबसी समझ में आई न हाकिमों को। आई होती तो जमीन पर इमारत बुलंद होती औंधे मुंह न गिरी होती।
अब ताजा हालात ये हैं कि बांडा गांव के परिवार बच्चों की तालीम के लिए बांडा गांव से पलायन कर रहे हैं। जबकि सुना है कि सूबे की सरकार पलायन रोकने के लिए आम-ओ-खास से सलाह मांग रही है। शायद कोई तदबीर सरकार और पहाड़ी आबादी की तकदीर संवार दे।
ताज़ा हक़ीकत ये है कि, बांडा गांव में प्राथमिक विद्यालय की इमारत आज भी जमीन में चित्त रो रही है, उसके आंसू पोछने वाला कोई नहीं है। सिवाय उस आंगनबाड़ी केंद्र के जिसकी इमारत धूप-बारिश में मासूम स्कूली बच्चों को पनाह देती है।
(khabaruttarakhand.com के नियमित पाठक मुन्सीराम भट्ट की सूचना और फोटो पर पंडित चंद्रबल्लभ की रिपोर्ट)