देहरादून : कई राज्यों में स्कूल खुल चुके हैं। वहीं उत्तराखंड में भी स्कूल खोलने को लेकर मंथन चल रहा है। अगली कैबिनेट में इस पर चर्चा कर फैसला लिया जा सकता है। बता दें कि उत्तराखंड में सरकार ने स्कूल खोलने न खोलने का फैसला अभिभावकों को भी दिया है जिस पर अभिभावकों की प्रतिक्रिया सामने आई है। अधिकतर अभिभावक कोरोना काल में अभी बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है। अभिभावक बच्चों को रिस्क उठाकर स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है। वहीं अपको बता दें कि देहरादून में मुख्य शिक्षा अधिकारी को भी साफ कर दिया गया है कि जिस तरह की शर्तें स्कूल संचालकों ने अभिभावकों के सामने रखी हैं, उन परिस्थितियों में अभिभावक अपने बच्चे को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं हैं।
नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के अध्यक्ष आरिफ खान का कहना है कि उत्तराखंड सरकार का अभिभावकों और स्कूल संचालकों की सहमति से स्कूल खोलने का फैसला लेना अच्छा कदम है लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने जो सरकार और अभिभावकों के सामने शर्त रखी है उससे बच्चों के माता पिता परेशान हैं और इसी कारण वो बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है।
स्कूलों की शर्त अभिभावकों को नगवार गुजरी
आरिफ खान का कहना है कि स्कूल संचालकों ने अभिभावकों के सामने जो शर्तें रखी है वो अभिभावकों को नगवार गुजर रही है। स्कूलों की शर्तै है कि अभिभावकों को ये लिखकर देना होगा कि स्कूल खुलने पर किसी बच्चे को कुछ हो गया तो उसकी पूरी जिम्मेदारी अभिभावक की होगी। स्कूल प्रबंधक, प्रिंसिपल, टीचर्स और स्टाफ पर किसी प्रकार का मुकदमा दर्ज नही होगा। इस शर्त से साफ है कि स्कूल संचालक बच्चों की सुरक्षा के प्रति कितना गंभीर है। ऐसे में माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे।
नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के अध्यक्ष आरिफ खान की आयोग से मांग है कि जब तक कोरोना का कहर खत्म नहीं हो जाता तब तक स्कूल बंद रहें या जब तक स्कूल वाले बच्चों की पूरी जिम्मेदारी नहीं लेते तब तक स्कूल बंद ही रखें जाएं क्योंकि स्कूल खुलने से बच्चों पर रिस्क बढ़ जाएगा।। आयोग को भेज पत्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान के अलावा प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट राजगीता शर्मा, मीडिया प्रभारी सोमपाल सिंह, महानगर उपाध्यक्ष ज्योति आले, पछवादून महासचिव रमन ढींगरा, हनी महेश पाठक, आलोक डोभाल आदि के हस्ताक्षर हैं।