देहरादून: सूरत की आग ने देशभर में अग्नि सुरक्षा इंतजाओं को लेकर एक बड़ी बहस खड़ी कर दी है। उस घटना के बाद से ही देशभर सहित उत्तराखंड में हलचल देखने को मिल रही है। राजधानी देहरादून से लेकर प्रदेश के हर जिले में अग्निशमन विभाग लगातार चेकिंग अभियान चला रहा है। कई संस्थानों को नोटिस भी दिए गए हैं। लेकिन, जिस अग्निशमन विभाग पर आग से बचाने की जिम्मेदारी है। उसके पास ना तो कर्मचारी हैं और ना दूसरे संसाधान। अगर किसी इलाके में आग लग जाती है, तो पानी फासर टेंडर में पानी भरने तक के साधन नहीं हैं। जो थे भी वो अतिक्रमणकारियों ने कब्जा लिए।
राजधानी देहरादून से लेकर प्रदेशभर के हर जिले में अग्निशमन विभाग में कर्मचारियों को टोटा है। फायरमैन से लेकर अधिकारियों तक के पद रिक्त चल रहे हैं, लेकिन उनको भरने की जहमत नहीं उठाई जा रही है। उपकरणों का भी बुरा हाल है। देहरादून को छोड़कर अग्निशमन विभाग के पास जिलों के लिए एडवांस फायर कंट्रोल सिस्टम नहीं है। ऐसे में आप आग लगने की स्थिति में खुद के सुरक्षित होने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।
इससे और बड़ी बात यह है कि अग्निशमन विभाग ने प्रदेशभर में आग लगने की स्थिति में हाईड्रेंट बनवाए थे, लेकिन अब ज्यादातर हाईड्रेंट या तो गायब हो गए हैं या फिर अतिक्रमण की चपेट में हैं। जिन जगहों पर हैं भी उन स्थानों पर बड़े फायर टेंडर का जाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में जब तक फायर टेंडर कहीं दूर से पानी भरकर आएगा। तब तक आग तबाही मचा चुकी होगी। ऐसे में क्या आशा की जा सकती है कि अग्निशमन विभाग समय से आग पर काबू पा सकेगा।