विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी हर साल एक जून पर्यटकों के लिए खोल दी जाती है। इस बार भी एक जून से फूलों की घाटी खोल दी जाएगी। लेकिन इस बार यात्री फूलों की घाटी तक जाने के लिए 200 मीटर तक बर्फ के बीच से होकर गुजरेंगे।
एक जून से सैलानी कर सकेंगे फूलों की घाटी का दीदार
विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी एक जून से 30 अक्तूबर से खुल जाएगी। इस बार घाटी जाने वाले करीब तीन किमी लंबे ट्रैक पर घांघरिया से बामणधौड़ तक दो जगह पर हिमखंड जमे हुए हैं।
ऐसे में यात्री घाटी तक जाने के लिए 200 मीटर तक बर्फ के बीच से होकर गुजरेंगे। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने यहां करीब 200 मीटर तक बर्फ को काट कर रास्ता बनाया है।
घाटी में बार-बार मौसम हो रहा है मौसम खराब
इस बार प्रदेश में अप्रैल और मई में ऊंचाई वाले इलाकों में जमकर बर्फबारी हुई है। फूलों की घाटी क्षेत्र में भी अप्रैल और मई में भारी बर्फबारी हुई है। जिसके कारण घाटी और घाटी तक पहुंचने वाले रास्तों में अब भी बर्फ जमी हुई है।
बार-बार अब भी मौसम खराब हो रहा है। जिसके चलते इस बार पर्यटकों की आवाजाही के इंतजाम करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। बर्फ हटाने का काम जारी है। जिन जगहों पर बर्फ पिघल गई है वहां पर क्षतिग्रस्त हुए ट्रैक को सुधारा जा रहा है।
मन को मोह लेंगे घाटी के नजारे
फूलों की घाटी उत्तराखंड के चमोली जिले में है। ये समुद्र तल से 12995 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। फूलों की घाटी प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। यहां आपको जैव विविधता का खजाना देखने को मिलेगा। घाटी में जब फूल खिलते हैं तो 15 दिन में ही घाची का रंग विल्कुल बदल जाता है।
घाटी में जुलाई से सितंबर तक ब्लू पाॅपी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्मकमल, पोटेंटिला, प्राइमुला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, फैन कमल जैसे कई फूल खिले रहते हैं। घाटी की खूबसूरती को देखने हर साल हजारों क संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं।
विश्व धरोहर है फूलों की घाटी
फूलों की घाटी को प्राकृतिक खूबसूरती और जैविक विविधता के कारण 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया गया है। विश्व प्रसिद्ध वैली ऑफ फ्लॉवर 87.5 वर्ग किलोमीटर में फैला हुई है।
फ्रैंक स्मिथ ने 1931 में इसको नैसर्गिक फूलों की घाटी बताया था। जिसके बाद उन्होंने तीन महीने यहीं रहकर वैली ऑफ फ्लावर्स नामक किताब लिखी। जिसके बाद ये घाटी पूरी दुनिया में विश्व प्रसिद्ध हो गई।