देहरादून: उत्तराखंड के जंगल धधकती आग से धू-धू कर जल रहे हैं। अब तक आग लगने की पांच सौ से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं। सैकड़ों हेक्टेयर वन संपदा आग से जलकर राख हो चुकी है। कुछ जगहों पर वन कर्मी आग बुझाने के दौरान झुलस चुके हैं। लोगों के घर तक चल गए। नैनीताल में विश्व प्रसिद्ध एक मीटर व्यास वाली दूरबीन को संस्थान के वैज्ञनिकों ने जान जोखिम में डालकर बचाया। कई गांवों के आसपास आग ने कब्जा जमा लिया है। लेकिन, इतना कुछ होने के बावजूद वन मंत्री की नींद नहीं टूट रही है और सरकार की तंद्रा भी भंग नहीं हो रही है।
भीषण होती जा रही आग
वन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और तमाम पर्यावरण प्रेमी वनों को जलता देख एसी कमरों में दुबकर जंगलों को जलता देख रहे हैं। जंगलों की आग भीषण होती जा रही है। जंगलों के साथ वन्यजीव भी जल कर मर रहे हैं। गढ़वाल-कुमाऊं दोनों मंडलों के जंगल आग से धधक रहे हैं। कई जगहों पर लोग आग को गांवों की ओर आने से रोकने के लिए खुद ही मोर्चा संभाले हुए हैं। वन विभाग से लेकर सरकार तक लोग लगातार शिकायत कर रहे हैं, बावजूद कोई खास एक्शन नहीं लिया जा रहा है।
अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे वन मंत्री
हैरानी की बात यह है कि वन महकमे के मंत्री हरक सिंह रावत की कहीं गायब हो गए हैं। जंगलों में आग लगने की घटनाएं रिकार्ड तोड़ने की ओर हैं, लेकिन वन मंत्री ने अब तक एक भी बार जंगलों में लगी आग को लेकर वन विभाग के साथ कोई बैठक नहीं की। अब तक सरकार की ओर से जंगलों में लगी आग की समीक्षा को लेकर रिव्यू बैठक तक नहीं की गई। इससे अंदाजा लागया जा सकता है कि सरकार और वन मंत्री अपने जिम्मेदारियों के प्रति कितने संवेदनशील हैं।
सेना ने बुझाई थी 2016 की भीषण आग
जंगलों में आग लगातार बेकाबू होती जा रही है, लेकिन आग बुझाने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। हरीश रावत सरकार में जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए हेलीकाॅप्टरों से पानी गिराया गया था। तब जाकर कुछ काबू पाया गया था। लेकिन, इस बार जगलों की आग बुझाने को लेकर कुछ इंतजाम नजर नहीं आ रहे हैं। 2016 में उत्तराखंड में करीब 1,900 हेक्टयेर वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आग लगने के बाद सरकार नेएमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात करने का फैसला किया। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और थलसेना के जवान आग बुझाने में जुटे हुए थे।