रुड़की, अरशद हुसैन- सूबे के पहाड़ी इलाकों में सेहत का सवाल सत्ता के सामने यक्ष प्रश्न तो है ही, मैदानी इलाके भी इससे दो चार होने लगे हैं। विधानसभा चुनाव के बाद रुड़की का सरकारी अस्पताल भी डॉक्टरों की किल्लत झेलने को मजबूर हो गया है।
दरअसल इस अस्पताल मे संविदा पर तैनात सभी चिकित्सकों की संविदा 28 फरवरी को खत्म हो चुकी है। ऐसे में इस सरकारी अस्पताल में तैनात स्थाई डॉक्टरों पर मरीजों का बेतहाशा दबाव बढ़ गया है। हालांकि पहले संविदा पर तैनात चिकित्सकों का कार्यकाल 28 फरवरी से पहले रिन्यूवल कर दिया जाता था लेकिन इस बार चुनावी माहौल के चलते ऐसा नहीं हो पाया।
जिससे मरीज और डाक्टर दोनों परेशान हैं। एक अनार और सौ बीमार वाली हालत में जूझते रुड़की के सरकारी अस्पताल में मरीजों की कतारे खत्म होने का नाम नहीं लेती। अस्पताल प्रशासन के लिए तैनात सीएमएस को भी मरीजों के मर्ज को परखना पड़ रहा है नतीजतन अस्पताल का इंतजाम पटरी से उतरा हुआ है।
ऐसे में देखना ये है कि शासन रुड़की के सरकारी अस्पताल की सुध कब तक लेता है क्योंकि संविदा पर सेवारत डाक्टरों की सेवा को पुनर्जीवित करने का आदेश देने वाले कागजात शासन के पास ही हैं।