केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भले ही लाख दावे किए कि उनके प्रयासों से देश में टैक्स पेयर्स की संख्या बढ़ गई है लेकिन सच्चाई कुछ और ही सामने आ रही है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में ग्रास टैक्स कलेक्शन तेजी से गिरा है। 2018-19 के दौरान इसमें 1.6 लाख करोड़ रुपए की कमी आई। बिजनेस स्टैंडर्ड ने ये खबर प्रकाशित की है।
टैक्स कलेक्शन में आई कमी से मोदी सरकार के दावे कटघरे में आ जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 1.6 लाख करोड़ रुपए की धनराशि भारत की जीडीपी का 0.8 फीसदी होगी। ऐसे में अर्थशास्त्रियों की माने तो टैक्स कलेक्शन में कमी का मतलब है धीमी आर्थिक वृद्धि दर। जानकारों की माने तो 1.6 लाख करोड़ रुपए का टैक्स कलेक्शन कर पाना भी सरकार के लिए मुश्किल होगा।
जानकारों के मुताबिक धीमी आर्थिक वृद्धि दर का असर देश में रोजगार पर पड़ता है। कम वृद्धि दर होने से रोजगार के नए अवसर नहीं पैदा होते हैं। सरकार का राजकोषीय घाटा भी पूरा करना मुश्किल होगा।
जाहिर है कि इतनी बड़ी आर्थिक विषमता ने न सिर्फ मोदी सरकार के दावों पर सवाल उठाते हैं बल्कि मोदी सरकार की नीतियों पर भी प्रश्न चिह्न लगाते हैं।