Supreme court over ban on porn: बीते दिन यानी सोमवार, 3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पॉर्नोग्राफी पर बैन लगाने की मांग पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने सितंबर में नेपाल में हुए Gen Z प्रदर्शन का उदाहरण दिया।
दरअसल याचिका कर्ता ने सरकार से ये मांग की थी कि पोर्नोग्राफी पर बैन लगाया जाए। जिसपर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने पोर्नोग्राफी पर बैन लगाने की मांग वाली याचिका पर आदेश देने से मना कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल का उदाहरण देकर कहा कि जब वहां बैन लगाया गया, तो क्या हुआ था, वो देखिए।
Supreme court over ban on porn: देश में बैन होने वाला है पॉर्न!
दरअसल अदालत ने सितंबर में नेपाल में हुए प्रदर्शन की बात कही। जब देश के जेन Z ने सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर हिंसक आंदोलन किया था। नेपाल में पूरा तख्तापलट हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) बी.आर. गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि इसपर चार हफ्ते बाद सुनवाई की जाएगी। बताते चलें कि 23 नवंबर को सीजेआई गवई सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
याचिकाकर्ता की ये है मांग
दरअसल याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार से ये मांग की थी कि पोर्नोग्राफी पर एक राष्ट्रीय नीति और ठोस कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए। खासकर नाबालिगों के लिए। इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील कंटेंट देखने पर भी बैन लगाने की मांग की थी।
याचिका में दी गई है ये दलील
याचिका में कहा गया है कि डिजिटलाइजेशन के बाद अब लगभग हर व्यक्ति इंटरनेट से जुड़ चुका है। चाहे कोई पढ़ा-लिखा हो या न हो, आजकल हर चीज़ एक क्लिक पर आसानी से उपलब्ध है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने खुद माना है कि इंटरनेट पर अरबों पोर्न साइट्स मौजूद हैं। कोविड के समय जब स्कूल बंद थे और बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे, तब उनके पास मोबाइल और लैपटॉप जैसे डिवाइस थे, लेकिन अश्लील कंटेंट देखने से रोकने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी।
देश में 20 करोड़ अश्लील कंटेंट
हालांकि अदालत ने इस बात को नोट किया आज ऐसे कुछ सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं। जिनसे माता-पिता बच्चों के इंटरनेट इस्तेमाल पर निगरानी रख सकते है। जिससे वो अनुचित कंटेंट से उन्हें रोक सकते हैं।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में ये दावा किया कि भारत में करीब 20 करोड़ अश्लील वीडियो या क्लिप है। इसमें बाल यौन शोषण से जुड़ा कंटेंट भी है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कोई ठोस फैसला नहीं दिया है।



