लद्दाख के लिए अपनी मांगों को लेकर जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक दिल्ली मार्च पर निकले हैं। वो 2 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेंगे। लद्दाख से दिल्ली तक उन्होनें पैदल मार्च निकाला है। उनकी मांग है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा मिले और छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। उनका कहना है कि उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो धरने पर बैठेंगे। राजघाट पर धरना देंगे। हालांकि उन्होनें साफ कहा है कि उनका राजनीति में आने का कोई प्लान नहीं है।
सोनम वांगचुक की प्रधानमंत्री से क्या मांग?
सोनम वांगचुक की प्रधानमंत्री से मांग है कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। ताकि यहां के लोगों को अपनी जमीन और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करने के लिए कानून बनाने की शक्तियां मिलें। बता दें कि करगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर पीएम को मांगों से जुड़ा एक ज्ञापन सौंपा गया था, मगर अभी तक कोई जवाब नहीं मिल पाया है। लद्दाख में 5 अतिरिक्त जिले बनाए जाना उनके प्रदर्शन से अप्रत्यक्ष रुप से जुड़ा हो सकता है। उन्होनें कहा कि हमें नहीं पता कि इन जिलों को फैसले लेने की ताकत मिली है या नहीं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा।
पारिस्थितिकीय रुप से नाजुक क्षेत्र है लद्दाख
वांगचुक ने कहा कि लद्दाख पारिस्थितिकीय रुप से नाजुक क्षेत्र है। औद्योगिक और जलवायु संबंधी चुनौतियों को देखते हुए पीएम मोदी से आग्रह है कि इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए।
मार्च में 21 दिन का रखा था उपवास
बता दें कि सोनम वांगचुक ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की अनुसूची में शामिल करने की मांग करते हुए मार्च में 21 दिन का उपवास रखा था। उन्होनें केवल नमक और पानी का सेवन किया था। उनका कहना है कि पारिस्थितिकीय रुप से नाजुक इस क्षेत्र को मुनाफा कमाने के उद्देश्य से लगाए जाने वाले उद्योगों से बचाना है।