जिन गढ़वाली भाई-बंधुओं को अपनी भाषा यानि गढ़वाली बोलने में शर्म आती है तो वह ये वीडियो जरुर देखे और सीखें सरदार जी से. आपने किसी सरदार जी को ऐसी गढ़वाली बोलते हुए पहले कभी देखा है ? अगर नहीं देखा है तो आज देख लीजिए।
आपको बता दें गढ़लावी बोलते हुए सरदार जी का नाम बद्रीश छाबड़ा है। वो गढ़वाली में लोगों को संदेश दे रहे हैं और कह रहे हैं कि ‘भेजी मेरू नाम बद्रीश छाबड़ा चाबड़ा चा, वैसे तो मैं पंजाबी छों पर उत्तराखंड कू रैंण वालू छों, तो मैं गढ़वाली बोलदू।’’ वो आगे कहते हैं कि ‘गढ़वाली बोली चा, क्योंकि भाषा होंदी ता ईंकी लिपि होंदी’।
इसके बाद उन्होंने हर उत्तराखंडी से एक अपील की है। उन्होंने गढ़वाली में ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि ‘सभी उत्तराखंड वासियों ते म्येरू निवेदन चा कि अपणीं यीं बोली ते बचे ल्यावा’। छाबड़ा जी आगे कहते हैं कि ‘भेजी हम ता सरदार छां तभी भी गढ़वाली बोना छन।’
आगे उन्होंने कहा कि ‘बाबा बद्री विशाल अर मां धारी देवी की आप सभी पर असीम कृपा रैली अगर आप अपणी बोली ते बचौला’। इसके बाद वो नमस्कार करते हैं और अपनी बात खत्म करते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस वीडियो में खास बात क्या है। खास बात ये है कि आज के दौर में कई लोग ऐसे हैं, जो शहर की भागदौड़ में खो जाते हैं और अपनी बोली और भाषा को भूल जाते हैं, अपने गांवों को पीछे छोड़ आते हैं। ऐसे लोगों के लिए सरदार जी का ये वीडियो एक बड़ी सीख बन सकता है।
सरदार जी बड़े गर्व से गढ़वाली बोली के प्रचार और प्रसार की अपील हर उत्तराखंडी से कर रहे हैं, तो हम उत्तराखंडी क्या ऐसा नहीं कर सकते ? जरा सोचिए कि अगर हम लोग ही अपनी भाषा और बोली का संरक्षण खुद ही नहीं करेंगे तो बाद में हमारा अस्तित्व ही क्या रह जाएगा।