देहरादून- पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की ख्वाब को यस बैंक हकीकत में बदलने वाला है। अगर सब कुछ महाराज की सोच पर हुआ तो तय है कि आने वाले वक्त में दुनिया के सैलानी यूरोप के बजाए औली, चोपता,खरसाली, बिनसर और गुंजी, गर्ब्याल जैसे गांव और टिहरी बांध की झील में अपनी छुट्टियां बिताएं।
जी हां, उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने की कवायद एक बार फिर से शुरू हो गई है। बार-बार पश्चिमी मुल्कों का हवाला देने वाले सूबे के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की ख्वाहिश है कि उत्तराखंड भी सात समुन्दर पार के देशों की तरह देश- विदेश के सैलानियों को अपनी ओर रिझाए।
लेकिन संसाधनों को विकसित करने के लिए जरूरी दौलत का इतजाम करना टेड़ी खीर साबित हो जाता है। बहरहाल अब राज्य में पर्यटन मंत्री के निर्देश पर पूरी पर्यटन नीति में भारी बदलाव होने वाला है। नीति राज्य के आईएएस अधिकारी नहीं बल्कि निजी क्षेत्र का इंटरनेशनल बैंक बना रहा है।
यस बैंक इसके लिए कई राज्यों और देशों की पर्यटन नीति का अध्ययन कर रहा है। माना जा रहा है कि जल्द ही नीति को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। जिसे कैबिनेट के सामने चर्चा के लिए रखा जाएगा। राज्य के पर्यटन सचिव मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि अभी तक विशेषज्ञ इसे निवेश के लिए सबसे आक्रमक नीति मान रहे हैं।