आशीष तिवारी। बेशक सूबे की पशुपालन मंत्री रेखा आर्य बकरी स्वयंवर के ऐलान के बाद भी स्वयंवर न करा पाईं हों लेकिन 11 मार्च को टिहरी के पंतवाड़ी गांव में बकरी स्वयंवर का आयोजन होने जा रहा है। इस स्वयंवर का आयोजन हिमालयी इलाकों के सरोकारों से जुड़ी एक संस्था ग्रीन पिपुल करा रही है। इस स्वयंवर की होर्डिंग्स में अग्नि के फेरे लेते वर वधु, गणेश की आकृति बनाई गई है और ऊं भी लिखा गया है। आयोजन में मुख्यअतिथि के तौर पर राज्य के लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी पहुंचेंगे। इसके साथ ही कर्नल कोठियाल भी पहुंच रहें हैं।
संस्था को उम्मीद है कि इस बकरी स्वयंवर में इस बार 1500 से 3000 पशुपालक पहुंचेंगे। बकरी स्वयंवर का ये दूसरा आयोजन है। पिछले साल भी ये आयोजन किया गया था।
ग्रीन पिपुल संस्था बकरियों और भेड़ों की नस्ल सुधारने के मकसद से इस आयोजन को कर रही है। खास बात ये है कि इस संस्था को बकरी और भेड़ पालकों का जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है। यही वजह है कि देश भर से लोग यहां पहुंच रहें हैं। पंतवाड़ी गांव को इस संस्था ने ‘the goat village’ के तौर पर विकसित किया है। यहां बेहतर नस्ल की बकरियां और भेड़ों का पालन हो रहा है।
ये गांव न सिर्फ बकरी और भेड़ पालकों के लिए प्रसिद्ध हो रहा है बल्कि पलायन रोकने और रिवर्स पलायन के उत्कृष्ट उदाहरण के तौर पर भी सामने आ रहा है।
इस गांव में स्थानीय उत्पादों से पर्वतीय शैली के घर बनाए गए हैं। सब्जी और फल उत्पादन के जरिए आर्थिकी को संभाला गया है। यही नहीं, दुनिया भर के पर्यटकों के लिए भी इस बकरी गांव को खोला गया है। देश विदेश से आने वाले पर्यटक इस गांव में पहुंच रहें हैं। यहां इन पर्यटकों को स्थानीय उत्पाद मसलन मंडुवा, लाल भात खरीद के लिए बकरी छाप ब्रांड से उपलब्ध होते हैं।
ग्रीन पिपुल संस्था का भले ही ये मकसद न हो लेकिन राज्य के रहनुमाओं को इस संस्था ने आइना दिखा दिया है। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले राज्य की पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने ऐसे ही एक बकरी स्वयंवर के आयोजन का ऐलान किया था लेकिन उनके ही कैबिनेट के सहयोगियों ने स्वयंवर शब्द के प्रयोग पर आपत्ति जता कर पूरा प्रोग्राम ही कैंसिल करा दिया था। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने ‘स्वयंवर’ शब्द को शास्त्रोक्त बताते हुए इसे बकरियों की क्रास ब्रीडिंग के कार्यक्रम के लिए प्रयोग करने पर नाराजगी जताई थी। फिलहाल ग्रीन पिपुल का बकरी स्वयंवर उत्तराखंड की नियति और राजनीति की नीयत का फर्क तो बता ही रहा है।