राखी भाई-बहन का त्यौहार होता है। इसके लिए मार्केट में तरह-तरह की राखियां आती हैं। लेकिन उत्तराखंड में ऐपण वाली राखी के अलावा भी महिलाएं इस बार अनोखी राखी तैयार कर रही हैं। ताड़ीखेत की महिलाएं बिच्छू घास से इस बार राखी बनाएंगी।
बिच्छू घास से तैयार की जाएगी राखी
आजकल पहाड़ की महिलाएं नए-नए स्टार्टअप कर खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं। इसी कड़ी में अल्मोड़ा जिले में महिलाएं प्रशिक्षण लेकर खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं।
अल्मोड़ा जिले के ताड़ीखेत की महिलाएं इस बार बिच्छू घास के रेशे से राखी बना रही हैं। इसके साथ ही महिलाएं इस से बैग के साथ ही कई अन्य सजावटी सामान तैयार करेंगी।
महिलाओं को दिया जा रहा प्रशिक्षण
बिच्छू घास के रेशे से राखी बनाने के लिए महिलाओं को नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ नेचुरल फाइबर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की ओर से प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना के तहत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ये प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रानीखेत के ताड़ीखेत के विकासखंड सभागार में 20 महिलाओं को रविवार से इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है। महिलाओं को 12 दिनों तक इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा।
बिच्छू घास से बने कपड़ों की देश-विदेश में भारी मांग
पहाड़ों पर उगने वाली बिच्छू घास यानी हिमालयन नेटल जिसे की स्थानीय भाषा में कंडाली और शिशूंड़ कहा जाता है। कभी उत्तराखंड के गांवों में बच्चे बिच्छू घास से डरते थे। लेकिन आज यही बिच्छू घास लोगों के लिए रोजगार का जरिया बन रहा है।
बिच्छू घास से कपड़े, सजावटी सामान और अब राखी भी तैयार की जा रही है। उत्तराखंड में बिच्छू घास से जैकेट, शॉल, स्टॉल, स्कॉर्फ और बैग भी तैयार किए जा रहे हैं। जिन्हें घास के तने से रेशे निकाल कर बनाया जा रहा है। इसके कपड़ों की देश ही नहीं विदेशों से भी मांग आ रही है।