उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र समाप्त हो चुका है.. लेकिन गैरसैंण में चले इस मानसून सत्र को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। पक्ष हो या विपक्ष सभी लोग अब ये कहते हुए नजर आ रहे हैं कि गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी है और वहां पर विधानसभा का सत्र कम से कम 10 या 15 दिन का होना चाहिए। सत्र की अवधि को लेकर पहले भी राजनीति हुई है और अब सत्र समाप्त होने के बाद भी राजनीति गरमा चुकी है।
क्या 18 घंटे के लिए गए गैरसैंण ?
उत्तराखंड देश का इकलौता राज्य है जहां पर स्थाई नहीं बल्कि अस्थाई राजधानी के साथ-साथ ग्रीष्मकालीन राजधानी भी घोषित हो चुकी है। सबसे मजेदार बात ये है कि ग्रीष्मकालीन राजधानी में तभी चहल-पहल होती है जब वहां सत्र आयोजित होता है। इस बार भी धामी सरकार ने बजट सत्र ना कर पाने के बाद मानसून सत्र गैरसैंण में आयोजित करने का निर्णय लिया। सरकार की तरफ से तीन दिन का मानसून सत्र आयोजित किया गया जिसमें 18 घंटे की कार्रवाई सदन की चली है। ऐसे में विपक्ष की तरफ से अब फिर सवाल उठाए जाने लगे हैं कि सरकार ने ना तो सत्र की अवधि बढ़ाई है और न ही सदन में विपक्ष को चर्चा करने का मौका किया है।
सत्र की अवधि क लेकर मचा सियासी घमासान
विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं कि 17 महीने बाद सरकार को गैरसैंण की याद आई उसमें भी सरकार ढाई दिन के भीतर ही सत्र को समाप्त करके चलती बनी। उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण में तीन दिन का सत्र आहूत किया गया जिसके समापन के बाद कांग्रेस खासकर रोष में नजर आ रही है। पहले धारचूला से कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने आपदा के मुद्दे को न उठाए जाने को लेकर सत्ता पक्ष साथ ही अपनी ही पार्टी के नेताओं पर निशाना साधा। अब हरीश धामी के बाद बद्रीनाथ से नवनिर्वाचित विधायक लखपत बुटोला भी नाराजगी व्यक्त करते हुए नजर आ रहे हैं।
सरकार सत्र के नाम पर कर रही खानापूर्ति
लखपत बुटोला के लिए ये पहला मौका था जब विधायक के रूप में उन्होंने विधानसभा सत्र में भाग लिया। लेकिन पहली बार में ही उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया। लखपत पटोला का कहना है की सत्र तीन दिन भी नहीं बल्कि केवल डेढ़ दिन चला। बुटोला ने कहा कि पहाड़ी राज्य में विशेषकर जब गैरसैंण के अंदर विधानसभा चल रही हो पूरा पहाड़ आपदा से ग्रसित हो, आपदा में पूरा पहाड़ दरक रहा हो ऐसी स्थिति में जहां हमने उनसे कहा की 310 में नियम 58 के अंतर्गत आपदा पर चर्चा का मौका दिया जाए।
तो सरकार ने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण रूप से हम विधानसभा में बात रखने का मौका नहीं दिया गया। सरकार केवल खानापूर्ति कर रही है, सरकार लोगों के मुद्दों से बच रही है और सरकार नहीं चाहती की लोगों के मुद्दे उठें। ये लोकतंत्र के लिए काला दिन रहा है।
आगामी बजट सत्र गैरसैंण में ही किया जाएगा आहूत
भाजपा विधायक खजान दास ने कहा कि लंबे समय के बाद गैरसैंण में इस बार सत्र आहूत हुआ है। ऐसे में जब सदन के लिए बिजनेस तैयार होता है तो उसमें सरकार के साथ-साथ विपक्ष के नेता भी शामिल होते हैं। इसलिए अब सदन तीन दिन का रहा है तो उसके लिए विपक्ष सरकार पर आरोप नहीं लगा सकता है। भाजपा विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिए कि आगामी बजट सत्र को गैरसैंण में आहूत किया जाएगा और तब सदन की अवधि 10 दिन से अधिक होगी।