देहरादून- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देशभर के छात्रों से ‘परीक्षा पर चर्चा’ की। इस दौरान मोदी मंत्र की क्लास का लाइव प्रसारण किया गया। उत्तराखंड के लगभग सभी स्कूलों में छात्र-छात्राओं ने पीएम मोदी की तनाव मुक्त होकर परीक्षा देने के मूल मंत्र की क्लास में भारी संख्या में छात्र-छात्राओं ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया।
शिक्षा मंत्री बने बच्चे
पीएम मोदी के चर्चा के दौरान देहरादून के पथरी बाग स्थित-लक्ष्मण विद्यालय में राज्य के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने स्कूली बच्चों संग नीचे बैठकर प्रधानमंत्री मोदी की इस स्पेशल प्रेरणादायक क्लास के मूल-मंत्रों को बड़े उत्साह के साथ देख-सुनकर स्कूल के बच्चों का हौसला बढ़ाया।
तनाव मुक्त मंत्र क्लास के लिए देवभूमि में खास तैयारी
बता दें कि मोदी की तनाव मुक्त मंत्र क्लास के लिए के लिये उत्तराखंड में खास तैयारियां की गईं थीं। इस कारण सरकारी माध्यमिक कक्षाओं की 6, 7, 8, 9 और 11वीं क्लास की होम वार्षिक परीक्षा जो सुबह होनी थी उसे स्थगित कर शाम को किया गया है।
अगर खुद से लगाई जाए होड़ तो ही हम सकारात्मक तौर पर आगे बढ़ेंगे
बच्चों से मुखातिब होते हुए पीएम मोदी ने उन्हें जीवन में सफलता और आगे बढ़ने के कई मंत्र दिये। उन्होंने बच्चों को प्रतिस्पर्धा के स्थान पर अनुस्पर्धा करने का आग्रह किया। पीएम ने कहा कि आगे बढ़ने की होड़ अच्छी है लेकिन वो होड़ अगर खुद से लगाई जाए तो ही हम सकारात्मक तौर पर आगे बढ़ सकते हैं।
देहरादून की छात्रा का सवाल
इस दौरान देशभर के कई छात्रों के सवाल पीएम मोदी के समक्ष रखे गये। इसी कड़ी में देहरादून IIP स्थित केंद्रीय विद्यालय की छात्रा भावना जलाल ने एक बेहद महत्वपूर्ण सवाल प्रधानमंत्री से पूछा। भावना का सवाल था कि तथ्यों के मूल्यांकन के अनुसार हमें ये ज्ञात होता है कि 20 प्रतिशत सफलता आईक्यू और 80 प्रतिशत ईक्यू के कारण मिलती है। लेकिन विद्यार्थी ईक्यू को भूलकर आइक्यू को अपने जीवन में अधिक महत्व देते हैं। आखिर छात्र के जीवन में आइक्यू और ईक्यू में से किसका रोल ज्यादा अहम है।
क्या जवाब दिया पीएम ने
इस सवाल के जवाब देने से पहले प्रधानमंत्री थोड़ा रुके और फिर बोले कि ये एक ऐसा सवाल है जिसका परीक्षा से ज्यादा लेना-देना नहीं है लेकिन जीवन में आगे बढ़ने में आइक्यू और ईक्यू दोनों ही बेहद ज़रूरी हैं। अपनी बात बेहतर तरीके से रखते हुये मोदी ने मां-बच्चे का उदाहरण देते हुये कहा कि एक तीन-चार महीने के नन्हे बच्चे को बहलाने के लिये उसकी मां उसके झूले के ऊपर लगे झुनझुने को हिला देती है जिससे संगीत की आवाज आने लगती है। ये देख बच्चा भी अपने नन्हे-नन्हें पैरों से झुनझुने को हिलाने की कोशिश करता है। इसे आइक्यू (इंटेलिजेंस कोशंट) कहते हैं।
इसी तरह जब बच्चा बुरी तरह रो रहा हो और कोई भी उसे चुप नहीं करा पा रहा हो। चाहे उसके सामने कितना सुर में गाना गाओ या उसे खिलाओ लेकिन वो शांत नहीं हो पा रहा हो तभी मां की आवाज कान में पड़ते ही वो चुप हो जाता है। इसे कहते हैं ईक्यू (इमोशनल कोशंट)।
पीएम ने दोनों को बताया जीवन में बेहद जरूरी
प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे ये दोनों की फैक्टर मनुष्य में पैदा होने के साथ ही काम करना शुरू कर देते हैं। इसलिये आइक्यू और ईक्यू का जिंदगी में संतुलित होना अनिवार्य है। पीएम ने बताया कि रिस्क लेने की कैपेसिटी भी ईक्यू से आती है। ईक्यू सेंस ऑफ मिशन देता है। जिंदगी को ताकत देता है। आइक्यू सफलता दे सकता है लेकिन संवेदना देने में EQ का रोल होता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर के छात्रों को उनके हर सवाल का जवाब दिया। उनके करियर, पढ़ाई, सामाजिक दबाव, टाइम मैनेजमैंट, अभिभावकों व शिक्षकों का रोल सभी तरह से संशय को साफ किया। उन्होंने सभी माता-पिता से आग्रह किया कि अपने बच्चों को सोशल सिंबल बनाना बंद करें, उनके दोस्त बनें, उनका साथ दें।