सीसीटीवी फुटेज एक इलेक्ट्रानिक रूप में उपलब्ध रिकार्ड है। जिसे सूचना अधिकार के तहत मांगे जाने पर दिए जाने से तब तक इंकार नहीं किया जा सकता जब तक कि वो राज्य की संप्रभुता, सुरक्षा एवं किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए खतरा न हो। लोक सूचना अधिकारी को सुरक्षा एवं संप्रभुता के लिए खतरे की दलील देते हुए सूचना अधिकार अधिनियम की धारा (8) का उल्लेख करते हुए सूचना देने से इंकार किये जाने से पूर्व वांछित वीडियो फुटेज को पृथक से संरक्षित रखा जाना चाहिए।
CCTV फुटेज मांगे देने से अब नहीं कर सकते इंकार
सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने कहा है कि CCTV फुटेज मांगे देने से अब इंकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सूचना अधिकार के अंतर्गत वांछित फुटेज को बिना संरक्षित किए आवेदक को देने से मना किए जाने का कोई औचित्य नहीं है। ऐसा इंकार लोक सूचना अधिकारी की सूचना अधिकार के प्रति सदमंशा पर सवाल है एवं साक्ष्य छिपाने और मिटाने का अपराध है।
राज्य सूचना आयोग ने सूचना अधिकार के अंतर्गत सीसीटीवी फुटेज की सूचना पर एक निर्णय में ये स्पष्ट करते हुए हरिद्वार के खाद्य विभाग के लोक सूचना अधिकारी पर सीसीटीवी फुटेज संरक्षित किए बिना देने से इंकार किए जाने पर 25 हजार रूपए का जुर्माना लगाते हुए सूचना अधिकार के अंतर्गत मांगी गई सीसीटीवी फुटेज को अधिनियम के प्राविधान के अनुसार द्वितीय अपील की समय सीमा तक संरक्षित रखे जाने हेतु अवगत कराया है।
सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने दे दिया ये बड़ा आदेश
बता दें कि रूड़की, जनपद हरिद्वार निवासी उदयवीर सिंह ने अनुरोध पत्र जिला पूर्ति अधिकारी, हरिद्वार के कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे की 25 मई की रिकॉर्डिंग मांगी थी। लेकिन जिसमें सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8(1)(छ) का उल्लेख करते हुए सूचना देने की बाध्यता नहीं है का उल्लेख किया गया है। लेकिन जब इस मामले की सुनवाई राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट द्वारा की गई तो सुनवाई में लोक सूचना अधिकारी द्वारा कहा गया कि सीसीटीवी कैमरे लगाते समय कार्यालयाध्यक्ष की ओर से सीसीटीवी कैमरे की फुटेज संरक्षित रखे जाने सम्बन्धी कोई आदेश अथवा निर्देश प्राप्त नहीं हुए। जिसके फलस्वरूप कभी भी सीसीटीवी कैमरे की फुटेज संरक्षित नहीं रखी गई है।
जिस पर सूचना आयुक्त ने अपने आदेश में ये कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम के छूट प्राविधानों धारा (8) का उल्लेख करते हुए लोक सूचना अधिकारियों द्वारा सीसीटीवी फुटेज देने से इंकार किया जाता है। स्पष्ट किया जाता है कि सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 2(थ) के अंतर्गत इलेक्ट्रानिक रूप में उपलब्ध रिकार्ड होने के कारण सीसीटीवी फुटेज ‘सूचना‘ के अंतर्गत प्राप्त की जा सकती है।
सीसीटीवी फुटेज साक्ष्य होने के साथ ही घटनाओं एवं कथनों की पुष्टि करने में मददगार है इसलिए लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत उस सीमा तक देने से इंकार नहीं किया जा सकता है जब तक वांछित सीसीटीवी फुटेज राज्य की सुरक्षा, संप्रभुता अथवा किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए खतरा न हो।
सीसीटीवी फुटेज देने से इंकार करना साक्ष्य को मिटाने जैसा
सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना अधिकार में मांगी जाने वाली फुटेज को संरक्षित रखे बिना अधिनियम की धारा (8) को आड़ बनाकर सीसीटीवी फुटेज देने से इंकार करना साक्ष्य को मिटाने जैसा है। ये स्पष्ट किया जाता है कि किसी भी लोक प्राधिकार में सूचना अधिकार के अंतर्गत सीसीटीवी फुटेज के लिए इंकार किए जाने से पूर्व सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत द्वितीय अपील की समय सीमा तक अनिवार्य रूप से संरक्षित किया जाना चाहिए। समस्त लोक प्राधिकरणों को इस संबंध में लोक सूचना अधिकारियों को विधिवत निर्देशित भी किया जाना चाहिए। बता दें कि सूचना अधिकारी ने तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी पर सीसीटीवी फुटेज ना देने पर पच्चीस हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया है।