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अब नदी किनारे क्षतिग्रस्त कृषि भूमि पर भी हो सकेगा खनन, SC ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

Yogita Bisht
3 Min Read
सुप्रीम कोर्ट

उत्तराखंड गौण खनिज नियमावली 2001 में किए गए संशोधन की अधिसूचना के शासनादेश को खारिज करने के हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। जिसके बाद उत्तराखंड सरकार को राहत मिली है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

उत्तराखंड हाईकोर्ट के उत्तराखंड गौण खनिज (रियायत) नियमावली 2001 में किए गए संशोधन की अधिसूचना के शासनादेश को खारिज करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उत्तराखंड की सरकार को बड़ी राहत मिली है।

प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका

नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले से असहज प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दायर की थी। बता दें कि हाईकोर्ट ने 26 सितंबर को सत्येंद्र कुमार तोमर बनाम उत्तराखंड राज्य व अन्य के मामले में खनिज नियमावली में संशोधन के शासनादेश को रद्द कर दिया था। सरकार के इस आदेश को नियमों के विपरीत माना था।

कोर्ट ने इस संशोधन को दिया था अमान्य करार

न्यायालय में सरकार ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की उस अधिसूचना का हवाला दिया था। जिसके आधार पर कृषि योग्य भूमि तैयार करने के लिए भूमि समतलीकरण, मत्स्य पालन के लिए तालाब निर्माण व वर्षाकाल में जल संग्रह के लिए स्टोरेज टैंक बनाने के लिए पर्यावरणीय अनुमति में छूट दे दी थी।

इसके तहत नदी किनारे की ऐसी भूमि पर निर्माण संबंधी गतिविधियों को गैर खननकारी घोषित कर दिया था। कोर्ट द्वारा इस संशोधन को अमान्य करार दिया गया। जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दायर कर दी।

फैसले से ये होगा फायदा

कोर्ट के इस फैसले के बाद जनहित एवं विकास कार्यों की गति को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही बाढ़ आने से किसानों की क्षतिग्रस्त भूमि में जमा उपखनिज का उठान कर फिर से भूमि को कृषि योग्य बनाया जा सकेगा।

इस फैसले के बाद अब मत्स्य पालन के लिए तालाब के निर्माण आदि का काम भी किए जा सकेंगे। इससे किसानों व निजी भूस्वामियों की आजीविका बढ़ेगी। साथ में इससे रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।