देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला new parliament house को 28 मई को राष्ट्र को समर्पित करने जा रहे हैं। इस उद्घाटन समारोह में देशभर के विभिन्न नेता हिस्सा लेने पहुंचेंगे। लेकिन आखिर पुराना संसद भवन होने के बाद भी नए संसद भवन को बनाने की जरूरत क्यों पड़ी आइये आपको कारण बताते हैं।
100 साल पुराना है parliament house new delhi
1927 में बनकर तैयार हुआ संसद भवन लगभग 100 साल पुराना है। जहां वर्तमान जरूरत के आधार पर जगह कम है। साथ ही दोनों सदनों में सांसदों के बैठने की सुविधाजनक व्यवस्था का भी अभाव था, जिससे सदस्यों की कार्यकुशलता प्रभावित हो रही थी।
2020 में हुआ new parliament house का शिलान्यास
Parliament house new delhi में कमियों के कारण लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने प्रस्ताव पारित कर सरकार से संसद के लिए एक नई इमारत बनाने का आग्रह किया। जिसके बाद 10 दिसंबर 2020 को संसद के नए भवन का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। नवनिर्मित संसद भवन को गुणवत्तापूर्ण निर्माण के साथ रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है। अब संसद का नवनिर्मित भवन, जो भारत की गौरवशाली लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक मूल्यों को और समृद्ध करने का काम करेगा, अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है जो सदस्यों को अपने कार्यों को बेहतर ढंग से करने में मदद करेगा।
New parliament house में मिलेंगी ये सुविधाएं
New parliament house में संविधान हॉल, संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थान भी होगा। नए संसद भवन में 888 सदस्य लोकसभा में बैठ सकेंगे। वहीं उच्च सदन राज्य सभा के 384 सदस्य इसमें बैठ सकेंगे। सभी सांसदों को अलग दफ्तर दिया जाएगा साथ सभी में आधुनिक सुविधा होंगी। जानकारी के अनुसार नए संसद भवन में करीब 971 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं।