देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने महिला आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। अब यह बिल कानून बन गया है। भारत सरकार ने इस संबंध में गजट अधिसूचना जारी की है।
बता दें कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक को गुरुवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के हस्ताक्षर के बाद राष्ट्रपति के पास उनके अनुमोदन के लिए भेजा गया था। इसी महीने की शुरुआत में संसद के विशेष सत्र के दौरान संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया था। इसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से जाना जाएगा।
महिलाओं को 33 प्रतिशत का मिलेगा आरक्षण
अब इसे विधेयक के जरिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, महिलाओं को इसका लाभ जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया के बाद ही मिलेगा। नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होने के बाद लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। यह आरक्षण 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषद दायरे में नहीं आएंगी।
इस दिन मिली थी विधेयक को मंजूरी
महिला आरक्षण से संबंधित 128वां संविधान संसोधन विधेयक 21 सितंबर को राज्यसभा में पारित किया गया था। बिल के पक्ष में 214 वोट पड़े, जबकि किसी ने भी बिल के खिलाफ वोट नहीं डाला था। इससे पहले 20 सितंबर को विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिल गई थी। लोकसभा ने भी इस बिल को दो तिहाई बहुमत के साथ पास किया था। इसके पक्ष में 454 और विरोध में दो वोट पड़े थे।
लागू होने में लगेगा समय
वहीं अब राष्ट्रपति मुर्मु की मंजूरी मिलने के बाद यह बिल कानून बन गया है, लेकिन इसको अमल में लाने से पहले दो शर्ते जनगणना और परिसीमन की पूरी करनी होगी जिसे पूरा करने में कई साल लग सकते हैं। इसके मुताबिक महिला आरक्षण कानून आगामी जनगणना के बाद लागू होगा। कानून बनने के बाद होने वाली जनगणना के बाद आरक्षण लागू करने के लिए नए सिरे से परिसीमन होगा। परिसीमन के आधार पर ही महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित की जाएंगी।