हरिद्वार- खनन को लेकर मातृसदन और हरिद्वार जिला प्रशासन आमने-सामने खड़े हो गए हैं। वहीं, वन विकास निगम के शुरू हुए खनन के बाद से अनशन कर रहे मातृसदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का 12वें दिन भी अनशन जारी हैं वहीं जिलाधिकारी ने खनन को नियम के तहत जारी रखने की बात कहकर मातृसदन को खुली चुनौती दे दी है।
आसमान छू रहे रेत बजरी के दाम से जहां विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं तो वहीं आम आदमी भी अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहा है। मातृसदन का तर्क है कि हरिद्वार में खनन किसी कीमत पर नहीं हो सकता। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने हरिद्वार में गंगा घाटों का निरीक्षण कर जमीनी जानकारी जुटाई तो मातृसदन ने अलग ही राग अलाप दिया।
मातृसदन का आरोप है कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की टीम के साथ बिशनपुर कुंडी गए मातृसदन के संत को ग्रामीणों ने घेर लिया। उन्होंने आरोप लगाया की जिलाधिकारी, खनन माफिया और स्टोन क्रशर स्वामी मातृसदन को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।
वहीं, जिलाधिकारी दीपक रावत ने साफ किया है कि अवैध खनन पर रोकथाम की जहां तक बात है उसमें उनके सुझाव वो जरूर ले रहे हैं। लेकिन जहां नियम के तहत पारदर्शी तरीके से खनन हो रहा है उसको बन्द नहीं करेंगे। नेशनल हाइवे, रेलवे कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं और आम लोगों को भी खनन सामग्री की जरूरत है।
गंगा में हो रहे खनन को पुलिस ने पकड़ा
खनन को लेकर जिलाधिकारी जहां अपनी भूमिका स्पष्ट कर चुके हैं वहीं मातृसदन खनन बन्द कराए जाने की अपनी मांग पर अड़ा है। हालांकि, नियम के तहत यदि खनन होता है तो सरकार को राजस्व के साथ साथ आसमान छू रहे रेत बजरी के दाम में न केवल गिरावट होगी बल्कि क्षेत्र में होने वाले विकास कार्यों में भी तेजी आयेगी।
गौर हो कि गुरुवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम के साथ थाना क्षेत्र के बिशनपुर कुंडी के गंगा घाटों का निरीक्षण करने पहुंचे मातृसदन के ब्रह्मचारी दयानंद और टीम के सदस्यों को ग्रामीणों ने घेरा था। इस दौरान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम, ग्रामीणों और मातृसदन के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी। पुलिस के मौके पर पहुंचकर झगड़ा सुलझाया था।