हेल्थ डेस्क: देश में कई ऐसी बीमारियां सामने आ रही हैं, जिनका इलाज बेहद कठिन हैं। ये बीमारियां किसी चीज की वजह से नहीं, बल्कि जेनेटिकली एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंच रही हैं। पिछले कुछ सालों में भारत में इनकी संख्या में खासा इजाफा हुआ है, जिससे विशेषज्ञ भी हैरान और परेशान हैं। देश में क्रॉनिक नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज तेजी से मरीजों को अपनी चपेट में ले रही हैं। आंकड़ों के अनुसारये बीमारियां पिछले सालों के मुकाबले दोगुनी हुई हैं।
नॉन-कम्युनिकेबल
नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज यानी ऐसी बीमारियां जो लंबी अवधि की होती हैं और आनुवंशिक होती हैं। ये बीमारियां संक्रमण से एक-दूसरे को नहीं फैलती लेकिन एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होती हैं। इन्हें क्रॉनिक डिजीज भी कहा जाता है। इन जानलेवा बीमारियों ने साल 2017 के मुकाबले, साल 2018 में दोगुनी तेजी से लोगों को निशाना बनाया है। मुख्य तौर पर एनसीडी (नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज) में दिल की बीमारियां, स्ट्रोक, हाइपरटेंशन, कैंसर और डायबिटीज आती हैं।
डायबिटीज यानी मधुमेह, कैंसर और हाइपरटेंशन
भारत में डायबिटीज यानी मधुमेह, कैंसर और हाइपरटेंशन के मरीजों की संख्या में जबरदस्त इजाफा आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के 2019 के डाटा में इस बात की जानकारी दी गई है। साल 2018 में हाइपरटेंशन के 40 लाख से ज्यादा मरीज सामने आए हैं। जबकि डायबिटीज के 31 लाख मरीज सामने आए हैं। 11 लाख ऐसे मरीज सामने आए जिन्हें हाइपरटेंशन और डायबिटीज दोनों था।
दोगुनी हुई बीमारियां
2018 में हृदय से संबंधित बीमारियों के 2 लाख से ज्यादा मरीजों का इलाज हुआ। जबकि कैंसर के मरीजों की संख्या 1.68 लाख से ज्यादा थी। इन बीमारियों ने जहां साल 2017 में 3.5 करोड़ लोगों को चपेट में लिया था, वहीं साल 2018 में यह संख्या 6.5 करोड़ हो गई।