दीपावली भारत मे बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। इस साल 12 नवंबर को दीपावली का त्योहार मनाया जा रहा है। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन हर साल मनाया जाता है। जब भगवान राम 14 सालों का वनवास पूरा करके अयोध्या नगरी वापस लौटे तो नगरवासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाए थे। दीप जलाने की इस परंपरा को अब हर साल मनाया जाता है और इसे दीपावली के नाम से जानते हैं।
दीपावली में हर कोई दीप जलाता है। लेकिन सभी के मन में यह सवाल जरूर होगा कि आखिर कितने दिए जलाने चाहिए और कब-कब दीप जलाना शुभ माना जाता है। आइये जानते हैं।
धनतेरस में जलाते हैं पहला दिया
बता दें कि दीपावली का पहला दिया धनतेरस के दिन जलाया जाता है। यह दीपक यम दीपक कहलाता है। मृत्यु के देवता यमराज के लिए इस दिन यम दीपक जलाया जाता है। दक्षिण दिशा में यम का दीपक जलाने से परिवार में किसी की भी आकाल मृत्यु नहीं होती है। दिया माटी से बना होना चाहिए और उसमें सरसों का तेल डालकर ही दीप दान करना चाहिए। ये भी कहा जाता है कि दीपदान करने के बाद किसी भी सदस्य को घर के बाहर नहीं जाना चाहिए।
विषम संख्या में जलाएं दीपक
वहीं शास्त्रों में बताया गया है कि शुभ कार्यों में सदैव विषम संख्या में ही दीपक जलाना चाहिए जैसे कि 5,7,9 इस तरह से दीपावली पर सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। मुख्य तौर पर 5 दीपक जलाना दीपवाली पर अनिवार्य होता है। इनमें एक दिया घर के सबसे ऊंचे स्थान पर दूसरा दिया घर के रसोई घर में, तीसरा दिया पीने के पानी के पास, चौथा दिया पीपल के पेड़ के पास और पांचवा दिया घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर जलाना चाहिए।
दीप जलाने का मंत्र
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यम् धनसंपदा। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोsस्तु ते।।