पसीने की स्याही से जो लिखते है, अपने इरादों को, उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते ये कहावत सही बैठती है छत्तीसगढ़ की बेटी यमुना चक्रधारी पर, जिसने खूब पसीना बहाया लेकिन हार नहीं मानी और विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी पढ़ाई जारी कर नीट परीक्षा में सफलता हासिल की है। यमुना अपने माता-पिता के साथ ईंट बनाने का काम करती हैं। वह दिन में 6 घंटे ईंट बनाने का काम करती थीं और बचे हुए समय में और रात में परीक्षा की तैयारी करती थीं।
दिन में बनाती थी यमुना ईंट
कहा जाता है कि महंगी मंहगी कोचिंग में पढ़ने वाले स्टूडेंट ही नीट की परीक्षा पास कर पाते हैं। लेकिन ये भ्रम भी यमुना ने तोड़ दिया है। बिना कोचिंग के अपनी लगन और मेहनत उसने नीट परीक्षा में सफलता हासिल की है। एक तरफ यमुना जहां अपने माता-पिता के साथ ईंट बनाने का काम करती थी तो वही बचे हुए समय में वह पढ़ाई करती और इसी मेहनत ने उसे उसकी मंजिल के करीब ला दिया है।
रोजाना 5 घंटे करती थी पढ़ाई
मीडिया रिपोर्ट में मिली जानकारी के अनुसार यमुना रोज 4-5 घंटे पढ़ाई करती थी। अपने इसी परिश्रम के कारण उसने नीट में ऑल इंडिया 93,683 रैंक हासिल की है। वहीं ओबीसी कैटेगेरी में उसकी रैंक 42,684 आई है। उसे 720 में से 516 अंक मिले हैं।
डॉक्टर बन गरीबों की सेवा करूंगी- यमुना
यमुना को उसकी मेहनत का परिणाम मिल चुका है। अब वह सरकारी कॉलेज से पढ़ाई कर पाएंगी। वह डॉक्टर बनकर गीरबों की सेवा करना चाहती है। बता दें कि यमुना की तरह ही उसकी बड़ी बहन भी पढ़ाई में काफी तेज है। उसने एमए किया है और वह भी अपनी यूनिवर्सिटी की टॉपर रही है। वह प्रोफेसर बनना चाहती है।