प्रदीप रावत (रवांल्टा) देहरादून: राहुल गांधी का इस्तीफा आखिकार कांग्रेस कार्यसमिति को स्वीकार करना पड़ा। पहले से ही माना जा रहा था कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का इस्तीफा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह भी अनुमान था कि राहुल के बाद कई और पदाधिकारी भी अपना इस्तीफा सौंपेंगे। हुआ भी वही। कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हरदा ने अपना इस्तीफा तो दिया ही। अन्य जिम्मेदार पदाधिकारियों पर इस्तीफे का दबाव बना दिया।
पोस्ट में 2022का बार-बार जिक्र
हरदा ने अपनी फेसबुक पर की गई पोस्ट में उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का भी जिक्र किया है। उनकी इस पोस्ट के इसलिए भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं कि हरदा ने खासतौर पर 2022 का जिक्र क्यों किया। राजनीतिे जानकारों का मामना है कि हरदा ने अपनी इस पोस्ट के जरिए उत्तराखंड कांग्रेस के पदाधिकारियों को इस्तीफे के लिए मजबूर करना है। फिलहाल हरदा का दांव काम करता हुआ नजर आ रहा है। हरदा के एक दिन बाद किसान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष गोपाल सिंह रावत ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
उत्तराखंड में फिर से सिरमौ रबनने की चाहत
यह भी माना जा रहा है कि राष्ट्रीय नेतृत्व में अपनी गहरी पैठ का लाभ उठाकर हरदा फिर से उत्तराखंड कांग्रेस के सिरमौर बन सकते हैं। कांग्रेस के पास भी हरीश रावत के जैसा बड़ा और मजबूत चेहरा प्रदेश में नहीं है। ऐसे में कांग्रेस एक बार फिर 2022 के लिए हरीश रावत को चेहरा बना सकती है। हरीश रावत ने अपनी पोस्ट में यह भी लिखा है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा।
कुर्सी” पर नजर
कुलमिलाकर देखा जाए तो हरीश रावत के निशाने पर प्रदेश में कुर्सी है। वो कुर्सी कोई भी हो सकती है। हरदा ने इस्तीफे के बहाने उत्तराखंड कांग्रेस में वापसी की तैयारी भी कर ली है। हरीश रावत भले ही राष्ट्रीय महासचिव रहे हों, लेकिन वो कभी उत्तराखंड की सियासत से दूर नहीं रहे। गाहे-बगाहे हरदा उत्तराखंड की राजनीति में दखल देते रहे। इन दिनों भी हरदा गैरसैंण से लेकर नैनीताल की सैर कर लोगों से मिल रहे हैं।
राजनीति के मंझे खिलाडी
हरदा के चेहरे पर पिछले विधानसभा चुनाव में दो सीटों से हार और इस बार के लोकसभा चुनाव में हार का गम भी नजर नहीं आता है। कहा जाता है कि जब भी लोगों ने यह माना कि हरीश रावत की वापसी नहीं हो पाएगी। तब-तब हरदा ने सियासत के हर अनुमान को गलत साबित कर जीत हासिल की। अब देखना होगा कि सियासत का मंझा हुआ खिलाड़ी राजनीति की चालें किस तरह चलता है। हरदा फिर से प्रदेश में कुर्सी पर नजर जमाए हुए हैं। देखना होगा कि उनको कुर्सी मिल पाती है या नहीं ?