कोटद्वार: शनिवार को कोटद्वार नगर निगम बैठक में जमकर हंगामा हुआ। हंगामे के कारण कई विषयों पर चर्चा ही नहीं हो सकी। हंगामा वार्ड नंबर 11 के पार्षद और नगर निगम जेई के बीच हुआ। इसकी तो शहर में चर्चा हुई, लेकिन इससे ज्यादा चर्चा वन मंत्री हरक सिंह की हो रही है। वन मंत्री हरक सिंह को किसी ने हंगामे की खबर दे दी, जिसके बाद वन मंत्री हरक सिंह रावत नगर निगम की बैठक में पहुंचे। हंगामा शांत कराया और अधिकारियों को निर्देश देने लगे। इतना ही नहीं उनके साथ अधिकारी कुछ स्थानीय समर्थक भी बोर्ड बैठक में जाकर बैठ गए।
दरअसल, मंत्री को बोर्ड बैठक में जाने का अधिकार है, लेकिन जिस तरह से हरक सिंह रावत के साथ स्थानीय लोग जाकर बोर्ड बैठक में बैठे रहे, उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पहली बात यह है कि हरक सिंह रावत को बोर्ड की बैठक में जाना ही नहीं चाहिए था। दूसरा यह कि उनको अपने साथ किसी और को नहीं लेजाना चाहिए था।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि वन मंत्री ने वनों की आग को लेकर कभी चिंता जाहिर नहीं की, लेकिन नगर निगम की बैठक में आकर अधिकारियों को निर्देश नगर निगम बैठक में धमक गए। इस पर लोगों का कहना है कि वन मंत्री ने अपनी मर्यादा को तोड़ी ही है। उनहोंने नगर निगम बोर्ड बैठक की गरिमा को भी तोड़ा है।
एक महत्वपूर्ण सवाल यह भी उठ रहा है कि हरक सिंह रावत जानबूझकर नगर निगम कोटद्वार की बैठक में गए। दरअसल, नगर निगम मेयर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी की पत्नी हैं। हरक सिंह रावत किसी भी तरह कोटद्वार में अपनी खिसकते जनाधार को बचाए रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। पिछले दिनों लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग को लेकर भी वो अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर चुके हैं।