देहरादून: हाईकोर्ट ने उत्तराखंड ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका दिया है। किराये की बकायेदारी से बचने के लिए पूर्व मुख्यमंत्रियों ने पूरा जोर लगाया हुआ था। लेकिन, कोर्ट ने साथ कर दिया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को हर हाल में छह माह के भीतर बकाया किराया जमा कराना होगा। ऐसा नहीं करने पर कोर्ट की अवमानना माना जाएगा। फरवरी माह में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
रुलक की थी याचिका
गैरसरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटलमेंट केन्द्र (रुलक) की जनहित याचिका ने पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोश्यारी, स्व. नारायण दत्त तिवारी, रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूड़ी और विजय बहुगुणा को सरकारी आवास आवंटित किये जाने का मामला उठाया था। इन मुख्यमंत्रियों पर 2 करोड़ 85 लाख किराया बकाया चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी पर 4757758 रूपये, पूर्व सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पर 40,95,560, स्व एनडी तिवारी पर 1,12,98182, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर 37,50,638 और पूर्व सीएम भुवनचंद्र खंडूड़ी पर 46,59,776 रूपये वरूपये का किराया बकाया चल रहा है।
भगत दा ने कहा था मेरे पास नहीं पैसे
कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और विजय बहुगुणा बताया था कि उन्होंने सरकार की ओर से निर्धारित धनराशि जमा कर दी है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने धनराशि के अभाव में बकाया किराया जमा कराने में असमर्थता जाहिर की थी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को असंवैधानिक तरीके से आवासों का आवंटन किया गया है। उप्र की पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियमावली 1997 को उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक करार दिया था। साथ ही 2004 में जारी आवास आवंटन संबंधी शासनादेश भी पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लागू नहीं होता है।