देहरादून- कल यानि गुरुवार को सीएम के जनता दरबार हंगामा करने वाली शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा को न्याय मांगना महंगा पड़ गया. जिसके बाद आज शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा (प्र.आ.) रा.प्रा.वि. विकासखंड ज्येष्टवाड़ी, नोगांव, उत्तरकाशी को सीएम के आदेश के बाद सस्पेंड कर दिया गया है.
जी हां जिला शिक्षा अधिकारी ने सस्पेंशन ऑर्डर जारी करते हुए कहा कि प्रधानाध्यापिका का सीएम के जनता दरबार में अभद्रता कर्मचारी आचार सेवा नियमावली का उल्लंघन है. जिसके बाद शिक्षिका सस्पेंशन ऑर्डर जारी किया.
दरअसल सीएम के जनता दरबार में शिक्षिका ट्रांसफर की मांग को लेकर आयी थी. शिक्षिका की मांग थी की उत्तरकाशी में उसे 25 साल हो चुके हैं. उसके पति की मृत्यु होचुकी है और उसके बच्चे देहरादून हैं जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है इसलिए उसका ट्रांसफर देहरादुन कर दिया जाए. लेकिन बात बताते-बताते शिक्षिका का पारा चढ़ गया औऱ इस हरकत पर सीएम भी आग बबूला हो गए. और तुरंत शिक्षिका को बाहर करते हुए सस्पेेंड करने के ऑर्डर दिए.
पहले जनका दरबार में की थी ट्रांसपोर्टर ने आत्महत्या
आपको बता दें पहले भी भाजपा के जनता दरबार में एक ट्रांसपोर्टर ने जहर खाकर आत्महत्या की थी, इससे तो यहीं लग रहा है कि जनता जनता दरबार में आ रही है लेकिन उनकी सरकार सुन नहीं रही और अगर दरबार में सुन भी रही है तो उनके जाने के बाद दूसरे कान से जनता की समस्याओं को बाहर निकाला जा रहा है.
इसके बाद सोशल मीडिया पर जहां शिक्षिका का कुछ लोगों ने विरोध किया तो वहीं सीएम के दुर्रव्यहार का जनकर विरोध किया. वहीं जनता ने इस वक्त पूर्व सीएम हरीश रावत को याद किया और उनके व्यवहार और धैर्य की तारीफ की.